Malayalam Film Industry: मशहूर अभिनेता और माकपा विधायक एम. मुकेश पर दुष्कर्म का केस

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Malayalam Film Industry मशहूर अभिनेता और माकपा के विधायक एम. मुकेश पर दुष्कर्म का केस
Malayalam Film Industry : मशहूर अभिनेता और माकपा के विधायक एम. मुकेश पर दुष्कर्म का केस

Case Against CPI (M) MLA M. Mukesh, (आज समाज), चेन्नई: एक अभिनेत्री के आरोप के बाद मलयालम फिल्म के मशहूर अभिनेता और सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक एम. मुकेश के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि एक्टर ने कई साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था।

न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के खुलासे

एक पुलिस अधिकारी ने आज बताया कि बुधवार रात कोच्चि शहर के मरदु पुलिस थाने में एम मुकेश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने बताया, यह मामला भारतीय दंड संहिता के तहत इसलिए दर्ज किया गया है, क्योंकि कथित अपराध भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से पहले हुआ था। न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में किए गए खुलासों के बाद मलयालम फिल्म जगत की किसी हाई प्रोफाइल हस्ती के खिलाफ यह तीसरी प्राथमिकी है।

बुधवार को इस एक्टर पर केस दर्ज हुआ

तिरुवनंतपुरम ‘म्यूजियम पुलिस’ ने इससे पहले बुधवार को 8 साल पहले होटल में एक एक्ट्रेस से दुष्कर्म के आरोप में अभिनेता सिद्दीकी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पहला मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत निर्देशक रंजीत के खिलाफ पश्चिम बंगाल की एक अभिनेत्री की शिकायत पर दर्ज किया गया था। 2009 की एक घटना को लेकर यह शिकायत की गई। आरोपों के बाद रंजीत ने केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्दीकी ने भी आरोपों के बाद मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (एएमएमए) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था।

जस्टिस हिमा समिति की रिपोर्ट से मलयालम फिल्म उद्योग में भूचाल

पिछले सप्ताह तीन सदस्यीय न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद मलयालम फिल्म उद्योग में जैसे भूचाल आ गया है। 235 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि मलयालम फिल्म उद्योग पर 10-15 पुरुष निर्माता, निर्देशक व अभिनेताओं का नियंत्रण है। केरल सरकार ने 2017 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था। समिति ने 2019 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया था क्योंकि इसे जारी करने पर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद कुछ शीर्ष लोगों के खिलाफ आरोपों की बाढ़ शुरू हुई है।