मुस्कुराने की आदत डाल लो तो जीवन सत्यम, शिवम, सुंदरम का पर्याय बन जाएगा

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चेहरे का रंग तो नहीं बदल सकते पर अपने जीने का ढंग तो बदल सकते हैं
जैन मुनि तरूण सागर

ain muni tarun sagar

मुनि तरुण सागर महाराज ने अपनी दीक्षा गुरु आचार्य पुष्पदंत सागर जी मुनि से ली। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से 26 जनवरी , 2003 को इन्दौर के दशहरा मैदान में मुनि तरुण सागर महाराज को राष्ट्र संत का दर्जा दिया गया। आचार्य तरुण सागर जी के कड़वे वचन अपनी जुवां पर काबू रखिए। घर परिवार में अधिकतर झगड़े इस जीभ के कारण हीं होते हैं। चुप रहना भी जरूरी है। चुप रहने की आदत डालें। पूरे दिन में एक घंटा मौन रहिए। एक घंटा नहीं रख सकते तो कम से कम आधे घंटे का मौन रखिए। नहीं रख सकते तो 15 मिनट का मौन रखिए। नहीं रख सकते तो कम से कम भोजन तो मौन रह कर करिए।हर हाल में मुस्कुराने की आदत डाल लो तो जीवन सत्यम, शिवम, सुंदरम का प्रयाय बन जाएगा – औरों की मदद करें बिना फायदे के, मिलना जुलना सीखिए बिना मतलब के, जीवन जीना सीखिए बिना दिखावे के और मुस्कुराना सीखिए बिना सेल्फी के। 

जीवन में परिवर्तन तब आएगा जब आप बदलेंगे। सामने वाला नहीं बदलने वाला। आपको बदलना होगा। आपकी पत्नी नहीं बदलेगी आपको बदलना होगा। आपका पति नहीं बदलेगा आपको बदलना होगा। आपके पडोसी नहीं बदलेंगे आपको बदलना होगा। जो प्रकृति ने दिया वो दे दिया। हम अपने चेहरे का रंग तो नहीं बदल सकते पर अपने जीने का ढंग तो बदल सकते हैं। अपने को बदलो, अपने मन को बदलो, अपने विचारों को बदलो, अपने नजरिये को बदलो, अपने दृष्टिकोण को बदलो। जब नजरें बदलती हैं तो नजारे बदल जाते हैं।आदमी की औकात एक मुट्ठी राख से ज्यादा नहीं है पर अपने को चक्रवर्ती का बाप समझता है- एक माचिस की चिल्ली, एक लोटा घी, लकड़ियों के ढेर पर कुछ घंटे में बस राख बस इतनी सी है आदमी की औकात।

 भले ही लड़ लेना, झगड़ जाना, पिट जाना या पीट देना पर कभी भी बोलचाल बंद मत करना क्योंकि बोलचाल बंद करने से सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं।
 जीवन में माता, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं। जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी हैं- बचपन में माँ का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का। माँ बचपन को संभाल देती हैं, महात्मा जवानी सुधार देता हैं और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता हैं।8 कभी तुम्हारे मां- बाप तुम्हें डाट दे तो बुरा नहीं मानना। बल्कि सोचना- गलती होने पर माँ- बाप नहीं डाटेंगे तो और कौन डाटेंगे, और इसी तरह कभी छोटों से गलती हो जाये और यह सोचकर उन्हें माफ कर देना की गलतिया छोटे नहीं करेंगे तो और कौन करेंगा।देश को विवेकानंद जैसे हिन्दू और अब्दुल कलाम जैसे मुसलमान मिल जायें तो दुनिया की कोई ताकत हमारे देश की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देख सकती अपना तन-मन अपने परिवार को देना चल जायेगा। अपना धन सगे संबंधियों को देना चल जायेगा। लेकिन अपना दिल ईश्वर के सिवाए किसी को मत देना।अगर कोई हंसता हुआ जानवर दिख जाये तो समझ लेना वो इंसांन होने वाला है और कोई इंसान हंसी की बात पर भी न हंसे तो समझ लेना वह वो बनने वाला है।

मनुष्य भाषा, मजहब, जाति, धर्म, क्षेत्र के नाम पर मनुष्य को बांटता आ रहा है। मनुष्य को मनुष्य से बांटता आ रहा है।गुलाब काटों में भी खिलता हैं मुस्कुराता हैं। तुम भी प्रतिकूलता में मुस्कुराओ, तो लोग तुमसे गुलाब की तरह प्रेम करेंगे। याद रखना जिन्दा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हंसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही हैं। इसलिए जीवन में सुख आये तो हस लेना, लेकिन दुख आये तो हंसी में उड़ा देना। चार बातों को कचरे के डिब्बे में डाल दो- (1) लोग क्या कहेंगे। (2) मुझसे नहीं होगा। (3) मेरा तो भाग्य ही खराब है और (4 ) अभी मेरा मूड नहीं है। डॉक्टर और गुरु के सामने झूठ मत बोलिए क्योकि यह झूठ बहुत महंगा पड़ सकता हैं। गुरु के सामने झूठ बोलने से पाप का प्रायश्चित नहीं होंगा, डॉक्टर के सामने झूठ बोलने से रोग का निदान नहीं होंगा। डॉक्टर और गुरु के सामने एकदम सरल और तरल बनकर पेश हो। आप कितने भी होशियार क्यों न हो तो भी डॉक्टर और गुरु के सामने अपनी होशियारी मत दिखाईये, क्योकि यहाँ होशियारी बिलकुल काम नहीं आती।सच्ची नींद और सच्चा स्वाद चाहिए तो पसीना बहाना मत भूलिए। बिना पसीने की कमाई पाप की कमाई है।जिस दिन हमारे देश की नीति के साथ नियत अच्छी हो जायगी, अच्छे दिन आ जायेंगे। और नीति के साथ नियत अच्छीनहीं होगी तो भगवान भी कुछ नहीं कर सकते।