पुजारी ने किया मंत्रोच्चार, दान-पुण्य और पर्यावरण संरक्षण पर दिया गया जोर
चरखी दादरी।
गांव मानकावास में मकर संक्रांति का पर्व केडन कंपनी के तत्वाधान में हवन और यज्ञ के आयोजन के साथ धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गांव के गणमान्य लोगों ने भाग लिया और पवित्र अग्नि में घी और सामग्री की आहुतियां डालकर “सर्वजन कल्याण” की कामना की। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता नरेंद्र सिंह साहडवा ने की, जबकि दलबीर गांधी, बनी सिंह, दिलबाग सिंह, राजेश, सत्यनारायण, संजीव, मदनलाल सहित कई अन्य विशिष्ट व्यक्तियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
पुजारी विकास शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन संपन्न कराया। उन्होंने यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हवन न केवल धार्मिक क्रियाकलाप है, बल्कि इसके धुएं से वातावरण भी शुद्ध होता है। यह प्राचीन परंपरा आज भी सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से उतनी ही प्रासंगिक है।
मकर संक्रांति का धार्मिक और सामाजिक महत्व
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरेंद्र सिंह साहडवा ने मकर संक्रांति के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे माघ मास का शुभारंभ होता है। यह महीना हिंदू धर्म में विशेष पवित्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस समय गंगा, गोदावरी, त्रिवेणी संगम, पुष्कर, कुरुक्षेत्र और गंगासागर जैसे तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य मिलता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जो लोग तीर्थ पर नहीं जा सकते, वे घर पर गंगाजल में तिल मिलाकर स्नान करें और गंगा-जमुना-सरस्वती आदि नदियों का आह्वान करें। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। इसके साथ ही, उन्होंने दान-पुण्य की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि अन्न, वस्त्र, गोदान और गर्म कपड़ों का दान इस पर्व पर विशेष फलदायी माना गया है।
हवन और दान-पुण्य से समाज के कल्याण की कामना
दलबीर गांधी और दिलबाग सिंह ने कहा कि हवन और दान-पुण्य जैसी परंपराएं हमारे समाज की मूलभूत पहचान हैं। सत्यनारायण और राजेश ने भी इस अवसर पर कहा कि हवन से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह पर्यावरण को भी शुद्ध करता है।
इस आयोजन ने न केवल धार्मिक भावना को प्रबल किया, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरणीय जागरूकता का संदेश भी दिया। उपस्थित सभी लोगों ने मिलकर समाज और पर्यावरण के कल्याण की कामना की।