नई दिल्ली। भारत के पूर्व कप्तान और चैम्पियन बल्लेबाज राहुल द्रविड़ का मानना है कि क्रिकेट जैसे कठिन खेल में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना बड़ी चुनौती है और खिलाड़ियों को व्यस्त कार्यक्रम और अनिश्चित भविष्य के तनाव से निपटने के लिए संतुलन बनाना चाहिए। ईएसपीएन क्रिकइन्फो से बातचीत में द्रविड़ ने कहा कि क्रिकेट से दूर रहकर सामंजस्य बिठाना कठिन होता है।
द्रविड़ ने कहा, यह बड़ी चुनौती है। क्रिकेट कठिन खेल है। इतनी प्रतिस्पर्धा और दबाव है और लड़के सालभर खेलते हैं। कई बार इस खेल में आपको इंतजार करना होता है और सोचने का काफी समय होता है। ग्लेन मैक्सवेल और युवा विल पुकोस्वस्की समेत तीन आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों ने मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देकर खेल से ब्रेक लिया है। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक द्रविड़ ने कहा कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच खिलाड़ियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा, आपको मैदान के भीतर और बाहर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। संतुलन बनाए रखना जरूरी है। सफलता मिलने पर बहुत रोमांचित न हों और नाकाम रहने पर निराश भी नहीं हों।
द्रविड़ ने कहा कि वह एनसीए में ऐसी व्यवस्था बनाना चाहते हैं कि जरूरत पड़ने पर खिलाड़ी को पेशेवर मदद मिल सके। उन्होंने कहा, अभी काम चल रहा है और ऐसा समय आएगा, जब जरूरत पड़ने पर हर खिलाड़ी को पेशेवर मदद मिल सकेगी। कई मसलों से कोच या हम पार नहीं पा सकते। ऐसे में पेशेवरों की मदद जरूरी होती है। जनवरी-फरवरी में होने वाले अंडर-19 विश्व कप के बारे में उन्होंने कहा कि जो टीम में नहीं चुने जाएं, उनके लिए रास्ते खत्म नहीं होते। इसी तरह टीम में जगह पाने वालों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि उनका सीनियर टीम में चयन तय है।
भारतीय तेज गेंदबाजों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, ईशांत, शमी, उमेश, भुवनेश्वर और बुमराह युवाओं के लिए रोल मॉडल बनते जा रहे हैं। पहले भी कपिल, श्रीनाथ और जहीर जैसे गेंदबाज हुए हैं, लेकिन एक इकाई के रूप में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ तेज आक्रमण है।
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