महेंद्रगढ़: सात दिवसीय डेयरी प्रशिक्षण का सफल समापन

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Mahendragarh dairy training
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नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान  विश्वविद्यालय, हिसार के पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़, द्वारा मंगलवार को 28 जुलाई से चली आ रही आधुनिक डेयरी प्रशिक्षण का समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस सात दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन डॉ. देवेन्द्र यादव, डॉ. ज्योति शुन्थवाल द्वारा डॉ. धर्मवीर दहिया एवं डॉ. अभय सिंह के दिशा निर्देशन में किया गया। यह प्रशिक्षण 28 जुलाई से 3 अगस्त तक विश्विद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र, महेंद्रगढ़ में चला जिसमें पशुपालकों ने भाग लिया और उन्हें विश्वविद्यालय की और से प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के विभिन्न वैज्ञानिकों ने पशुओं में होने वाले प्रमुख रोगों के बारे में, गल घोटू, मुंह खुर के टीकाकरण के बारे में, थनेला रोग से बचाव के बारे में, पशुओं से इंसानों में होने वाले रोगों के बचाव हेतू आदि कि जानकारी दी। डॉ. ज्योति ने पशुओं में संतुलित आहार, हे झ्रसाइलेज एवं खनिज मिश्रण के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की े  ट्रेनिंग के अंतिम दिन समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पशु विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. अभय सिंह यादव रहे। उन्होंने बताया की ऐसे ट्रेनिंग का मकसद पशुपालकों को पारंपरिक पशुपालन से विज्ञानिक पशुपालन पर ले जाना हैं जिससे डेयरी पालन को फायदेमंद बनाकर उनकी आय में वृद्धि हो।

डॉ. देवेन्द्र सिंह ने समापन समारोह में कहा की किसानों को पशुपालन में अच्छी नस्ल का महत्त्व एवं पहचान होनी चाहियें। उन्होंने बताया कि कैसे अच्छी नस्ल होने पर असली नस्ल के पशु की कीमत में इजाफा होता है। साथ ही उन्होंने पशुपालकों को बताया कैसे हर वर्ष पशु के बियाने से सीधे पशु पलकों की आमदनी में इजाफा हो सकता है। उन्होंने बताया कि दो ब्यात के बीच का अंतर कम करना होगा और नया दूध हर वर्ष हो जाए। उन्होंने जोर दिया की किसानों की आमदनी दुगना होनी चाहिए साथ ही उन्होंने खनिज मिश्रण के महत्त्व के बारे में बताया । कार्यक्रम के दौरान डॉ. दयाराम ने पशुओं के खानपान सम्बन्धी जानकारी प्रदान की । डॉ. ज्योति शुंथवाल ने पशुपालकों को पशु पोषण में दाना मिश्रण बनाने की विधि व प्रोटीन के महत्त्व के बारे में बताया।  प्रशिक्षण के अंत में पशुपालन कौशल वर्धन शिविर में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए । विविद रहे की लुवास विश्वविद्यालय के इस क्षेत्रीय केंद्र ने पिछले समय से कोरोना की बंधिशो की वजह से विभिन्न आॅनलाइन कार्यक्रमों के जरिये पशुपालकों से जुड़ते रहे हैं और हजारों किसानों को फायदा पहुंचाया है।