(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मंडल एवं आर्य समाज महेंद्रगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक विचारधारा को विश्व भर में गुंजायमान करने, देश को पाखंडवाद से बचाने, सकल सृष्टि एवं समष्टि के कल्याण की कामना से घर-घर, गली-गली यज्ञ की श्रृंखला में 9 अगस्त शुक्रवार को सिसोठ ग्राम में आर्य समाज महेंद्रगढ़ के संरक्षक मास्टर रघुनाथ सिंह आर्य की अध्यक्षता में नवरत्न सहधर्मिणी सरिता देवी व विजय सिंह सहधर्मिणी कलावती देवी पूर्व सरपंच के यजमानत्त्व में यज्ञ का आयोजन उनकी माता जी शांति देवी की स्मृति में किया गया।दो मिनट का मौन रख कर उन्हें शत-शत नमन किया। तथा महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित कालजई ग्रंथ “सत्यार्थप्रकाश” यजमानों को सप्रेम भेंट किया।
आर्य समाज के प्रधान एवं वैदिक पुरोहित भूपेंद्र सिंह आर्य ने यज्ञ के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है। यज्ञ मात्र कर्मकाण्ड की वस्तु नहीं है, अपितु बहुमुखी चिकित्सा पद्धति भी है।
गो घृत, सामग्री आदि पदार्थ को अग्नि में डालने से उसकी शक्ति, क्षेत्रफल और गुणात्मक दृष्टि से हजारों गुणा बढ़ जाती है तथा परमाणुओं में विभक्त होकर, आकाश मंडल में पहुंचकर, मेघ बनकर वर्षा में सहायक होते हैं। वर्षा से अन्न और अन्न से प्रजा की तुष्टि-पुष्टि होती है। इस प्रकार जो यज्ञ करता है वह मानो प्रजा का पालन करता है
वेद प्रचार मंडल के प्रधान डॉक्टर प्रेमराज आर्य ने बताया कि यज्ञ पद्धति पूर्णतः वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें आडम्बर, ढोंग, अवैज्ञानिक व तर्क विहीन बातों का कोई स्थान नहीं है।
पर्यावरण को सन्तुलित रखने, जलवायु को शुद्ध करने तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का एकमात्र माध्यम यज्ञ है। यज्ञ प्रकृति के निकट रहने का साधन है। अतः हम सब का कर्तव्य है कि यज्ञ को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं तथा अपने घरों, प्रतिष्ठानों, स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा यज्ञ करें और करवाये। सब सुखी हो, सब निरोग हो की भावना को साकार करें। इस अवसर पर बाबू रंग राव सिंह आर्य, रामकिशन, नवीन कुमार, मनजीत, मोनू, कृष्ण, वेदांत आदि लोग उपस्थित रहे।