Mahendragarh News : ज्ञोपवीत धारण पर्व के उपलक्ष में आर्य समाज यज्ञशाला किया यज्ञ

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ज्ञोपवीत धारण पर्व के उपलक्ष में आर्य समाज यज्ञशाला किया यज्ञ
आर्य समाज की यज्ञशाला में श्रावणी उपाकर्म पर यज्ञ करते।

(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मंडल एवं आर्य समाज के संयुक्त तत्वावधान में आर्य समाज की पावन यज्ञशाला में श्रावणी उपाकर्म, ऋषि तर्पण, वेद स्वाध्याय, यज्ञोपवीत धारण पर्व के उपलक्ष में मंडल के प्रधान डाक्टर प्रेमराज आर्य के ब्रह्मत्त्व में यज्ञ का आयोजन किया गया।इस अवसर पर डॉक्टर प्रेमराज आर्य ने बताया की श्रावणी उपाकर्म- जिसमें निरन्तर वेदों का श्रवण और स्वाध्याय और प्रवचन होता रहे। वह श्रावणी है। इस लिए इस महीने का नाम ही श्रवण मास है।उपाकर्म- जिसमें ईश्वर और वेद के समीप ले जाने वाले यज्ञ कर्मादि श्रेष्ठ कार्य किये जायें वह “उपाकर्म” कहाता है।ऋषि तर्पण – जिस कर्म के द्वारा ऋषि मुनियों का और आचार्य, पुरोहित, पंडित जो विशेषकर वेदों के विद्वान है उनका तर्पण किया जाता है उन्हें यथेष्ट दान देना और सम्मान करना।

वेदस्वाध्याय पर्व- वेदों को पढ़ना भारत की संस्कृति का प्रधान अंग है

श्रावण माह में ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यासी, ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र सभी को वेदों का स्वाध्याय में लगने का आदेश है।यज्ञोपवीत धारण पर्व- इस समय जिन लोगों ने यज्ञोपवीत नहीं धारण किया हुआ है, उन्हें नया यज्ञोपवीत धारण करके इस बात का संकल्प करना चाहिए कि वे अज्ञान, अंधकार से बाहर निकलेंगे और ज्ञानवान होकर परिवार, समाज, राष्ट्र को प्रकाशित करेंगे। जिन लोगों ने यज्ञोपवीत धारण किया हुआ है, उन्हें पुराने यज्ञोपवीत को उतारकर नया धारण करने का पर्व हैं श्रावणी उपाकर्म के विशेष मंत्रों से आहुति प्रदान की वेद पढ़ने-पढ़ाने का, स्वाध्याय करने का, प्रतिदिन यज्ञ करने का, अपने बहनों एवं मातृशक्ति के रक्षा करने का संकल्प लिया, बस यही संदेश है । सभी के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति की परमपिता परमेश्वर से कामना की। इस अवसर पर कवि गुरु बृहस्पति शास्त्री, डॉक्टर सुगन सिंह भाटी, वीर सिंह मेंघनवास, बहन केसर आर्या, डॉ. विक्रांत डागर, बाबू रंगराव सिंह आर्य, प्राचार्य विजय पाल आर्य, डॉ. भंवर कसाना, अनिल आर्य, किरोड़ी लाल आर्य आदि लोग उपस्थित रहे।