(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। यादव धर्मशाला महेंद्रगढ़ के मुख्य सभागार 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर्व पर सभा के प्रधान एडवोकेट अभय राम यादव की अध्यक्षता में पंडित भूपेंद्र सिंह आर्य के पुरोहित्त्व में यज्ञ एवं सत्संग का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया।

यज्ञ ब्रह्मा निशुल्क कानूनी सलाहकार वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मवीर सिंह आर्य ने मौनी अमावस्या के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या पर मौन का पालन करने से आत्मिक शांति और ध्यान में वृद्धि होती है। मौन मन को केंद्रित करता है, जिससे ध्यान और साधना गहन बनती है। ऋषि-मुनि इसे ध्यान और समाधि की अवस्था प्राप्त करने का सशक्त माध्यम मानते थे।

मौन वाणी पर नियंत्रण का अभ्यास कराता है। अधिक बोलने से ऊर्जा व्यर्थ होती है, जबकि मौन से यह ऊर्जा संचित होती है और शरीर में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग और अध्यात्म में इसे “ऊर्जा संरक्षण” के रूप में देखा जाता है।
मौन रहने से व्यक्ति अपने भीतर झांकने और आत्म-अवलोकन करने में सक्षम होता है। यह आत्म-साक्षात्कार और आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करता है।

अध्यक्ष ने बताया कि वैदिक ऋषि इसे आत्मा की पवित्रता बनाए रखने का साधन मानते थे। मौन से व्यक्ति में सहनशीलता और धैर्य का विकास होता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि अनावश्यक वाद-विवाद से बचने के लिए मौन सबसे प्रभावी उपाय है।

वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन को तपस्या का एक अनिवार्य अंग मानते थे। उनका विश्वास था कि मौन रहने से मन स्थिर होता है और विचारों की उथल-पुथल शांत हो जाती है। मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है। इसके अलावा मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ और विवादों से बचने का मार्ग भी है। वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़कर देखा गया।

धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक परंपराओं में मौन को आत्मिक शांति और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। वैदिक काल में ऋषि-मुनि अपने तप और साधना में मौन का पालन करते थे। मौन केवल वाणी का त्याग नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा की गहराई तक शुद्धता प्राप्त करने का माध्यम है। आज भी मौन साधना को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। इस अवसर पर यादव सभा की समस्त कार्यकारिणी, कोमल यादव, निर्मला यादव, राम कला, रामरती देवी व लाइब्रेरी के विद्यार्थी शामिल रहे।