- यज्ञ की प्रक्रिया हमें परम लक्ष्य की ओर ले जाती है: डॉ. विक्रांत डागर
(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। आर्य समाज महेंद्रगढ़ के प्रांगण में 3 नवंबर को भैया दूज के अवसर पर साप्ताहिक यज्ञ व सत्संग का आयोजन बड़ी धूमधाम से वेद प्रचार मंडल जिला अध्यक्ष डॉक्टर प्रेमराज आर्य की अध्यक्षता में, आर्य समाज के प्रधान भूपेंद्र सिंह आर्य के पुरोहित्त्व में किया गया । इस दौरान डॉक्टर आनंद कुमार सहधर्मिणी सविता देवी मुख्य यजमान रहे। पुरोहित ने बताया कि यज्ञ पृथिवी और अन्तरिक्ष को क्रियाशील करता हुआ द्यु लोकस्थ अग्नि अर्थात् सूर्य से सम्बन्ध स्थापित करता है जिससे अग्नि में दी गई आहुतियां सूर्यमण्डल में पहुंचती हैं।
सूर्य मण्डल को प्राप्त आहुतियों से इस त्रिलोकी में भू:, भुवः, स्व: लोकों में अग्नि, वायु और आदित्य से प्राण, अपान और व्यान प्रवाह गति करता है। इस प्रकार सृष्टिक्रिया विज्ञान रहस्य की प्रक्रिया के बोध के लिए यज्ञ का अनुष्ठान समादरणीय प्रतीत होने लगता है। डॉ. विक्रांत डागर ने बताया कि यज्ञ की प्रक्रिया हमें परम लक्ष्य की ओर ले जाती है। सृष्टि यज्ञ के उत्तम निर्माता परमेश्वर हैं। उसका संचालक परब्रह्म ओ३म् ही है।
जल और अग्नि, तेज, ज्योति ही इस विश्व में प्रधान रूप से कार्य कर रहे हैं। वृक्ष, वनस्पति, अन्न, फलादि में इन दोनों के कारण रस उत्पन्न हो रहा है। सर्वाधार, सर्वव्यापक, सब सुखों का दाता, सब दुःख हर्त्ता, सर्वरक्षक परमात्मा से विश्वानि देव-मन्त्र के माध्यम से सर्व दुःखादि दूर और कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव की प्राप्ति की ऐश्वर्य युक्त, सुपथ की प्राप्ति की, निष्पाप जीवन करने की याचना की तथा यज्ञादि शुभकर्मों में बार-बार प्रवृत्ति बनी रहे की कामना की। ओ३म् सर्वं वै पूर्णं स्वाहा।
मन्त्र को तीन बार बोलते हुए तीन आहुतियां प्रदान की । यज्ञ कार्य में रुचि-ग्रहण कर हम सब यज्ञ को अपनायेंगे। इस अवसर पर बहन केसर आर्या, वीर सिंह मेंघनवास, बाबू रंगराव सिंह आर्य, डॉ. विक्रांत डागर, प्रोफेसर अशोक कुमार, शिवांश, महेंद्र सिंह दीवान, किरोड़ी लाल आदि लोग उपस्थित रहे।