(Mahendragarh News)महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मंडल के प्रधान डॉ. प्रेम राज आर्य की अध्यक्षता में रविवार को आर्य समाज मुख्यालय महेंद्रगढ़ की यज्ञशाला में साप्ताहिक यज्ञ का आयोजन किया गया। प्राचार्य विजय पाल आर्य के यज्ञमानत्व व वैदिक पुरोहित भूपेंद्र सिंह आर्य के पुरोहित्व में आयोजन किया गया। यज्ञ ब्रह्मा के आसन्न को कवि गुरु बृहस्पति शास्त्री ने सुशोभित किया। भूपेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि जो व्यक्ति यज्ञ से शुद्ध किये हुए अन्न, जल और पवन आदि ‘पदार्थों का भोजन करते हैं। पहले दूसरों को खिलाकर बाद में खुद खाते हैं। वे निरोग होकर बुद्धि, बल, आरोग्य और दीर्घायु को प्राप्त करते हैं।
यज्ञ मात्र कर्मकाण्ड की वस्तु नहीं है, अपितु बहुमुखी चिकित्सा पद्धति भी है
अग्नि में पदार्थ को डालने से उसकी शक्ति, क्षेत्रफल और गुणात्मक दृष्टि से हजारों गुणा बढ़ जाती है।
“‘यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म'” संसार में सबसे श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है। जिस कर्म का फल जड़- चेतन, दोस्त-दुश्मन, अपना-पराया के भेद के बिना सब में वितरित हो और जिससे किसी को कोई हानि न हो। वह एकमात्र यज्ञ कर्म है।
यज्ञ पद्धति पूर्णतः वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें आडम्बर, ढोंग, अवैज्ञानिक व तर्क विहीन बातों का कोई स्थान नहीं है। डॉक्टर प्रेमराज आर्य ने कहा की पर्यावरण को सन्तुलित रखने, जलवायु को शुद्ध करने तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का एकमात्र माध्यम यज्ञ है। सब पदार्थो और सब शक्तियों के दाता परमेश्वर से हृदय को सुप्रकाशित करने के लिए प्रार्थना की जिससे शुद्ध-बुद्धि, और शुद्ध-विचारों का उदय होकर हम सदैव यज्ञ कर्मों का अनुष्ठान करने वाले बने रहे तथा सफलता को प्राप्त करते रहें। इस अवसर पर उप प्रधान वीर सिंह मेंघनवास, बहन केसर आर्या, डॉ. विक्रांत डागर, महेंद्र दीवान, सूबे. मेजर दलीप सिंह आर्य, सूबे. मेजर सूबे सिंह खेड़ा, मा. जूगबीर सिंह आर्य, सुमेर सिंह, एडवोकेट मानव आर्य, सुभाष आर्य, किरोड़ी लाल आर्य आदि ने यज्ञ में आहुति दी।
यह भी पढ़ें : Mahendragarh News :हाथों में मोमबत्ती लेकर न्याय की मांग