(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मण्डल एवं आर्य समाज महेंद्रगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आज 7 जुलाई रविवार को वैदिक धर्म, संस्कृति और संस्कारों के प्रचार-प्रसार के लिए व परिवार, समाज में प्रेम, एकता, सहयोग, ईमानदारी, संयम, सदाचार, आस्तिकता आदि के सद्भावों की अभिवृद्धि हेतू आर्य समाज मुख्यालय महेंद्रगढ़ की पावन यज्ञ शाला में डॉक्टर प्रेमराज आर्य की अध्यक्षता में यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें डॉक्टर विक्रांत डागर मुख्य यजमान रहे।
अध्यक्ष ने उद्बोधन में गृहस्थ जीवन को सुखमय, आनन्दायक और स्मृद्ध बनाए रखने के लिए यज्ञादि, धर्म युक्त, वेदोक्त, निष्काम, श्रेष्ठ कर्म करते रहने तथा साथ ही परमात्मा की आज्ञा अनुसार शुद्ध आहार-विहार तथा आचार-विचार से शुभ कर्मों को करते हुए, अशुभ कर्मों को छोड़ते हुए ज्ञान-विज्ञान तथा धन-धान्य को प्राप्त करने के लिए वेद पथ के अनुगामी बनने पर बल दिया।
वैदिक पुरोहित भूपेंद्र सिंह आर्य ने कहा की यज्ञ का प्रयोजन केवल भौतिक ही नहीं अपितु आध्यात्मिक भी है ।जो की भौतिक लाभों की अपेक्षा कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यज्ञ में जिन मन्त्रों से आहुति दी जाती है। उनसे पूर्व “ओ३म ” शब्द का उच्चारण किया जाता है। जो हमें बोध कराता है की सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सबका आदि मूल परमेश्वर है अर्थात हमारे पास जो भी धन, बल विद्या सामर्थ्य आदि पदार्थ हैं उन सब का उत्पादक, रक्षक, धारक पोषक स्वामी परमेश्वर है हम नहीं।
यज्ञ कुंड में घी और सामग्री को डालकर हर बार अंत में एक छोटा सा वाक्य बोला जाता है “ईदन्न मम” यह जो आहुति दे रहा हूं इसमें मेरा कुछ नहीं है परमपिता परमात्मा का दिया हुआ परमपिता की आज्ञा में ही समर्पित कर रहा हूं।
यज्ञ अग्नि हमें प्रेरित करती है। अग्नि जहां रहती है वहीं प्रकाश फैलता है। हम भी अज्ञान के अन्धकार को दूर करें। “तमसो मा ज्योतिर्गमय “हमारा प्रत्येक कदम अन्धकार से निकल कर प्रकाश की ओर चलने के लिये बढ़े। इस अवसर पर बहन केसर आर्या, बाबू रंगराव सिंह आर्य, वीर सिंह मेंघनवास, सुभाष नंबरदार माण्डोला, प्राचार्य विजय पाल आर्य, प्रताप सिंह एसडीओ, महेंद्र दीवान, जूगबीर सिंह आर्य, किरोड़ी लाल आदि लोग उपस्थित रहे।