(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में आयोजित किए जा रहे दक्षता विकास कार्यक्रम में चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू), सिरसा के प्रो. विक्रम सिंह तथा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक के पुस्तकालय विभाग के प्रो. निर्मल सिंह विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। हकेवि के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने अपने संदेश में कहा कि इस दक्षता विकास कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ प्रतिभागियों को शिक्षण दक्षता तथा टेक्नोलोजी और साफटवेयर का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान कर रहे है।
उन्होंने कहा कि उन्हे विश्वास है कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिभागी इस आयोजन से लाभांवित होंगे।
कार्यक्रम के पांचवें दिन की शुरुआत में विशेषज्ञों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रवीण तथा डॉ. कुमार पी ने किया। आयोजन में विशेषज्ञ प्रो. विक्रम सिंह ने कहा कि आज समय आंकड़ों का है।
अगर हमें टेक्नोलोजी और साफटवेयर का सही तथा सटीक प्रयोग करना आ गया तो फिर हम निश्चित रूप से आगे बढ़ने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि हमें तकनीक प्रयोग करते हुए अपनी निजी जानकारी कही पर भी शेयर नहीं करनी चाहिए और हमें विभिन्न लॉगइन आईडी के लिए एक ही पासवर्ड तथा इमेल प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें कम्प्यूटर, लैपटाप का प्रयोग करते हुए हाक्सवेयर वार्निंग वायरस अलर्ट, रैनसैमवेयर, होक्सवेयर, फिशिंग मेल आदि से बचना होगा। हमें डिजिटल लिटरेट होना होगा। प्रो. सिंह ने कहा कि तकनीक का प्रयोग करते समय हमें फेक कंटेट, फेक डाटा से बचना होगा।
इसी क्रम में प्रो. निर्मल कुमार ने अपने व्याख्यान में कहा कि आज का समय ई-रिसोर्स का है। इसको हम कभी भी कही भी प्रयोग कर सकते है। उन्होंने भारत सरकार के डिजिटल लाइब्रेरी, मूक, स्वयप्रभा, सीइसी, ज्ञान दर्शन आदि के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मूक के माध्यम से हमें पर्याप्त विविधता मिलती है और नई शिक्षा नीति का भी यही लक्ष्य है। विद्यार्थी अपनी जरूरत तथा सुविधा के अनुसार कोर्स को ज्वान कर सकता है और कोर्स को पूरा कर सकता है। प्रो. कुमार ने कहा कि इसके माध्यम से हम देश के विशेषज्ञों के ज्ञान का लाभ उठा सकते है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से हम किताबों और जर्नल को फ्री में डाउनलोड कर सकते है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है। कार्यक्रम के अंत में प्रो. रविंद्र पाल अहलावत व प्रो. जे.पी. भुक्कर ने विशेषज्ञों का धन्यवाद किया।
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