Mahendragarh News : महान क्रांतिकारी राजगुरु की जयंती पर यज्ञ कर किया नमन

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Tributes paid to the great revolutionary Rajguru on his birth anniversary by performing a Yagya.
महान क्रांतिकारी राजगुरु की जयंती पर यज्ञ करते।

(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मंडल के प्रधान प्रेमराज आर्य की अध्यक्षता में 24 अगस्त को आर्य समाज मुख्यालय की यज्ञशाला में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी मां भारती के वीर सपूत राजगुरु जी की जयंती पर यज्ञ कर उन्हें नमन किया गया । इस दौरान आर्य समाज के प्रधान एवं वैदिक पुरोहित भूपेंद्र सिंह आर्य ने यज्ञ संपन्न कराया।महान क्रांतिकारी राजगुरु के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अध्यक्ष ने बताया कि उनका जन्म पुणे जिला के खेड़ा गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 6 वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्या अध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने चले गए। इन्होंने हिंदू धर्म ग्रंथ तथा वेदों का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धांत कौमुदी जैसा क्लिष्ट ग्रंथ बहुत कम आयु में कंठस्थ कर लिया था। छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध शैली के बड़े प्रशंसक थे।

वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ

वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे।

राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि चन्द्रशेखर आजाद ने छाया की भांति इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की थी। 23 मार्च 1931 को इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फांसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हिन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में अहमियत के साथ दर्ज करा दिया। इस अवसर पर कवि गुरु बृहस्पति शास्त्री, वीर सिंह मेघनवास, बहन केसर आर्या, डाक्टर विक्रांत डागर, मास्टर जूगबीर सिंह, आचार्य विजय पाल, महेंद्र दीवान, एडवोकेट मानव आर्य, किरोड़ी लाल आर्य आदि लोग उपस्थित रहे।