Mahendragarh News : शहीदी महोत्सव मनाने के साथ हुआ दो दिवसीय आर्य महासम्मेलन का शुभारम्भ

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The two-day Arya Maha Sammelan was inaugurated with the celebration of Martyrdom Festival
आर्य महा सम्मेलन में भजन उपदेश करते विद्वान।

(Mahendragarh News) महेंद्रगढ। वेद प्रचार मंडल एवं आर्य समाज सुरजनवास महेंद्रगढ़ के तत्वावधान में आज 30 अगस्त को 11वां शहीदी महोत्सव एवं वैदिक प्रचार कार्यक्रम यज्ञ से आरंभ हुआ, मंच संचालन डॉक्टर प्रेम राज आर्य ने बड़ी कुशलता पूर्वक किया, जिसमें मुख्य यजमान संजय कुमार सहधर्मिणी सुगंधा देवी सरपंच एवं करण सिंह सहधर्मिणी संतोष देवी रहे, पुरोहित वेद प्रकाश आर्य एवं भूपेंद्र सिंह आर्य रहे, ब्रह्मा का स्थान पूज्य स्वामी समर्पणानंद भगवतभक्ति आश्रम दड़ोली रहें।  सर्वप्रथम 2 मिनट का मौन रखकर सभी शहीदों को नमन किया और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

पहली सभा की अध्यक्षता रामेश्वर दयाल शास्त्री ने की जिसमें उच्च कोटि के विद्वान, महान विचारक, वैदिक विद्वान, भजन उपदेशकों बहन अमृता आर्या दिल्ली, पंडित योगेश दत्त उपाध्यक्ष भजन उपदेशक सभा, पंडित सतीश आर्य मंडलपती आर्य वीर दल, पंडित इंद्र लाल आर्य, महाशय नंदराम वैद्य मिसाइल एवं रेडियो सिंगर ने अपनी प्रस्तुति दी अपनी प्रस्तुति में ईश्वर, जीव, प्रकृति, वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता राष्ट्रीय गौरव, चरित्र निर्माण, महिला शिक्षा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जल व पर्यावरण संरक्षण एवं राष्ट्र के शहीदों पर विशेष उद्बोधन दिया।
प्राचीन मंदिर के प्रांगण में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर वैदिक विचारधारा को विश्व भर में गुंजायमान करने के संकल्प के साथ , “दो दिवसीय आर्य महासम्मेलन” का शुभारम्भ संस्कृति व राष्ट्रीयता का संदेश लेकर वैदिक शंखनाद का प्रचार-प्रसार करने के लिए वेद मार्ग पर चलने का सभी उपस्थित जनों से आह्वान किया। बताया कि तुम सब आपस में मिलकर चलो, मिलकर रहो, प्रेम से बातचीत करो, सब एक दूसरे से मन मिलाकर ज्ञान प्राप्त करो, जिस प्रकार पहले विद्वान पुरुष मिलकर एक दूसरे के सहयोग से अनेक प्रकार का ज्ञान प्राप्त करते हुए ऐश्वर्य और उन्नति को प्राप्त करते थे वैसे ही तुम भी करो। जो मनुष्य भगवान की कल्याणी वाणी का मनन करता है । वह ऋषियों के प्राप्त किए रस का भगवान में विचरण करने वाले ब्रह्मनिष्ठ महात्माओं से चखें पवित्र अमृत का, पूर्णतया भोग करता है ।

ज्ञान का मूल स्रोत भगवान है, वही सभी वेदों का उत्पादक है। जहां भी प्रकाश है वह सूर्य का है। इसी प्रकार जहां भी ज्ञान है, वह परमात्मा का है। महर्षि दयानंद ने कहा है जो पापाचरणइच्छा समय में भय, शंका, लज्जा उत्पन्न होती है, वह अंतर्यामी परमात्मा की ओर से है। जड़, चेतन, स्थावर-जंगम, चर- अचर सभी उसके शासन में चलते हैं। परमात्मा महान है, सूर्यवत प्रकाशमान है, अंधकार व आज्ञान से पृथक सर्वत्र व्याप्त है, उसी को जानकर मनुष्य दुखों से छूट सकता है दुखों से छुटने का और अभीष्ट स्थान मोक्ष को प्राप्त करने का इससे भिन्न कोई दूसरा मार्ग नहीं है। इस संसार में यज्ञ धर्म युक्त, वेदोक्त, निष्काम, श्रेष्ठ कर्म को करते हुए हम 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करें। परमात्मा की आज्ञा अनुसार शुद्ध आहार-विहार तथा आचार विचार से शुभ कर्मों को करते हुए अशुभ कर्मों को छोड़ते हुए ज्ञान विज्ञान धन्य धन्य, परमपिता परमेश्वर की आज्ञा में चलकर ही प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर आर्य समाज के संरक्षक बाबूलाल आर्य, प्रधान श्री सतवीर सिंह, मंत्री प्राचार्य विजय पाल आर्य, ब्लॉक समिति चेयरपर्सन विजयलक्ष्मी, नानड़ी देवी एक्स सरपंच, धुरेन्द्र आर्य गाहडा, ओम प्रकाश, सुबे सिंह सूबेदार मेजर, सुमेर सिंह प्रधान आर्यसमाज मेघनवास, नफे सिंह, रजनीश पंच, वीरेंद्र पंच, संतोषदेवी, करण सिंह, राजवीर, विपिन, इंद्राज मुनीम, अजय एवं समस्त ग्रामवासी व गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

 

 

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