- किसानों का सता रहा फसल प्रभावित होने का डर, बाजार सुनसान, पशु पक्षियों पर कहर बरपा रही ठंड,
शक्ति शेखावत
(Mahendragarh News) सतनाली। सतनाली व आसपास क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की ठंड, शीतलहर व बर्फीली हवाओं के चलते सामान्य जन जीवन प्रभावित हुआ है। पहाड़ी इलाकों में हो रही भारी बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी दिखाई दे रहा है। मंगलवार रात क्षेत्र में पारा जमाव बिंदु पर पहुंच गया तथा खेतों में फसलों पर बर्फ की परत जमी नजर आई।
तीन दिन से क्षेत्र में चल रही बर्फीली हवाओं के चलते बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर रौनक गायब
ऐस में आगामी दिनों में पाला पडऩे की संभावना ने किसानों को भयभीत कर दिया है। तीन दिन से क्षेत्र में चल रही बर्फीली हवाओं के चलते बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर रौनक गायब हो गई है तथा अब सुबह सायं तो सडक़ों पर इक्का दुक्का लोग ही नजर आ रहे हैं। कड़ाके की ठंड का असर मूल प्राणियों पर भी पड़ा है। कस्बे के आसपास खुले स्थानों पर सर्दी से बेहाल परिंदे दम तोड़ते जा रहे हैं।
क्षेत्र में पारा जमाव बिंदु पर होने से गांवों में खेतों में किसानों की फसल पर बर्फ की हल्की सफेद चादर बिछी नजर आई। वहीं वाहनों के शीशों पर भी बर्फ जमी नजर आई। हालांकि सूर्यदेव अपनी चमक बिखेर रहे है परंतु सर्द हवाओं का प्रभाव व शीत लहर के चलते सूर्य की तेज धूप भी अपना असर नहीं दिखा पा रही। सुबह सवेरे कस्बे के हर चौराहे व हर मोड़ पर दुकानदार व अन्य लोग अलाव जलाकर खुद का सर्दी से बचाव करते नजर आए।
किसानों में पाला पड़ने की आशंका से ही उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे दिखाई दे रही
वहीं किसानों में पाला पड़ने की आशंका से ही उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे दिखाई दे रही है। किसानों किशनलाल, सुरेंद्र, फतेह सिंह, नीरज, सुनील आदि ने बताया कि यदि पाला पड़ा तो उनकी फसलों में नुकसान हो सकता है। वहीं दूसरी ओर पेट की क्षुब्ध को शांत करने के लिए सतनाली व आसपास के विभिन्न स्थानों पर ठंड से कांपते मासूम बच्चे फटे पुराने चीथड़ों में लिपटे कूड़े के ढेर से प्लास्टिक, पॉलीथिन, कांच, लोहे के टुकड़े, खाली डिब्बे इत्यादि ढूंढते नजर आ रहे है।
संवेदनहीनता के चलते अब इंसान अपने सामने जीवन से जूझते समय से पहले संक्रामक बीमारियों व सर्दी की चपेट में आते मासूमों को देखकर आँख फेर लेता है, इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है। सरकार, प्रशासन, समाजसेवी,संस्थाओं, समाज सेवा को समर्पित व्यक्ति चाहे कितनी ही बड़ी बात करें, जन सेवा, मानव मात्र के कल्याण व जनहितों की दुहाई दे लेकिन हकीकत यह है कि जीने के न्यूनतम जरूरतें भी पूरी न होने से धीरे धीरे मर रहे दूसरे इंसानों, मासूमों की किसी को कोई परवाह नहीं है।
यह दृश्य केवल एक स्थान पर नहीं बल्कि क्षेत्र व आसपास में सर्वत्र दिखाई दे रहा हैं। पशु पक्षी भी स्व जातियों के प्रति कहीं कहीं सहयोग करते, जीवन को बचाने में मदद करते नजर आ जाते हैं लेकिन मनुष्य का पत्थर दिल जड़ हो चुका है। विशेषकर मासूम बच्चे तो राष्ट्रीय संपदा हैं, उनके प्रति उपेक्षा की हद निष्ठुरता समाज को एक बड़े विनाश की ओर ले जाती दिखाई दे रही है।
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