हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस एंड रेगुलेटरी अफेयर विषय पर वेबिनार आयोजित

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Webinar organized on the topic of Pharmacovigilance and Regulatory Affairs
Webinar organized on the topic of Pharmacovigilance and Regulatory Affairs

नीरज कौशिक, Mahendragarh News:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में फार्मास्युटिकल साइंसेज विभाग और स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी एंड एप्लाइड साइंसेज द्वारा फार्माकोविजिलेंस एंड रेगुलेटरी अफेयर विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया था।

दवा सुरक्षा और नियामक की आवश्यकताओं पर जोर

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने वेबिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दवा सुरक्षा और नियामक की आवश्यकताओं पर जोर दिया। उन्होंने औषधि विज्ञान विभाग द्वारा विशेष रूप से दवा निर्माण और विकास प्रक्रिया के क्षेत्र में काम करने वाले अनुसंधान विद्वानों और संकाय सदस्यों के लिए इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन की सराहना की।

वेबिनार के बारे में जानकारी

स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी एंड एप्लाइड साइंसेज की डीन एवं विज्ञान प्रभा व्याख्यान श्रृंखला की अध्यक्ष प्रो. नीलम सांगवान ने स्वागत भाषण दिया और वेबिनार के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भविष्य में इस तरह के वेबिनार भी आयोजित किए जाएंगे ताकि विद्वानों को विषय विशेषज्ञों के साथ विमर्श का अवसर मिल सके।

कार्यक्रम में हिस्सा लिया

विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. दिनेश कुमार ने हमें बताया कि फार्माकोविजिलेंस एंड रेगुलेटरी अफेयर दवा और वैक्सीन की सुरक्षा सुनिश्चित करके स्वास्थ्य प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि वेबिनार में अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय, मलेशिया, यूसीएसआई, मलेशिया; बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, मेसरा; भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय; मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार सहित देश व विदेश के विभिन्न संस्थानों से लगभग 150 शोध विद्वान और संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम में उपस्थित रहे

कार्यक्रम की आयोजक डॉ. मनीषा ने बताया कि वेबिनार का संचालन उद्योग विशेषज्ञ एवं शोधकर्ता उद्योग विशेषज्ञ रजनीश सिंह ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए डॉ. तरुण कुमार ने बताया कि भारतीय जनसंख्या मानव जैव विविधता का सबसे बड़ा स्रोत है, जो आनुवंशिक विविधता के संबंध में प्रभावकारिता, रोग संवेदनशीलता, एटियलजि, आणविक विकृति विज्ञान, और दवाओं की सुरक्षा प्रोफाइल का अध्ययन करने के लिए एक आदर्श मॉडल का प्रतिनिधित्व करती है।

हेल्थकेयर पेशेवरों को अपने पेशेवर दायित्व के हिस्से के रूप में प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडीआर) रिपोर्टिंग पर विचार करना चाहिए और अपने देशों में मौजूदा फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. सुमित कुमार ने सक्रिय भूमिका निभाई। वेबिनार में प्रो. वंदना बी. पत्रावले, प्रो. शुभिनी ए. सराफ, डॉ. हीरा चौधरी, डॉ. बापी गोरैन और डॉ. पलानीस्वामी सहित विभाग के शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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