- ग्रामीणों ने प्रशासन से की बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग
(Mahendragarh News) सतनाली। सतनाली कस्बे में इन दिनों बंदरों का आतंक कस्बावासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। सतनाली में दूर-दराज के क्षेत्रों से छोड़े जाने वाले बंदर यहां दिनभर जमकर उत्पात मचाते हैं व साथ ही छोटे बच्चों को भी घायल करने से नहीं चूकते। बंदरों के झुंड दिनभर घरों की छतों पर घूमते रहते है तथा जब इन्हें भगाने का प्रयास किया जाता है तो ये लोगों पर हमला करने से भी पीछे नहीं हट रहे।
आए दिन बंदर किसी बच्चे, बुजुर्ग व पशु पक्षियों पर हमले कर उन्हें घायल कर रहे
ऐसे में कस्बे के लोग घरों की छत पर जाने से भी परहेज कर रहे है। ध्यान रहे कि सतनाली कस्बे में बंदरों का आतंक इस कदर व्याप्त है कि आए दिन बंदर किसी बच्चे, बुजुर्ग व पशु पक्षियों पर हमले कर उन्हें घायल कर रहे है। अन्य क्षेत्रों से छोड़े गए बंदर यहां दिनभर जमकर उत्पात मचाते हैं व साथ ही छोटे बच्चों को भी घायल करने से भी पीछे नहीं हट रहे। ऐसे में बंदरों के भय के कारण महिलाएं अपने छोटे बच्चों को अपने घर में भी अकेले नहीं छोड़ सकती एवं घर में दरवाजे खुले छोड़ने भी खतरनाक साबित होता जा रहा है। बंदरों के झुंड सुबह होते हीं एक छत से दूसरी छत पर घूमते दिखाई देते हैं। इन बंदरों ने अब तो बच्चों को नुकसान पहुंचाना भी शुरू कर दिया है।
घर में रखी सामग्री को बंदर लेकर चंपत हो जाते
सतनाली के प्रत्येक मोहल्ले में बंदरों के आतंक का यही हाल है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि पहले तो ये बंदर समूह में आकर हमला करते थे एवं लोगों से घरेलू वस्तुएं छीनते थे। लेकिन अब तो इनका आतंक इतना बढ़ गया है कि इन्होंने सीधे ही लोगों पर हमला करना प्रारंभ कर दिया है। पिछले एक पखवाड़े में कस्बे में आधा दर्जन बच्चे बंदरों के हमलों के शिकार हो चुके हैं। सबसे ज्यादा भय तो महिलाओं और बच्चों में हैं जोकि इनके भय से घर से बाहर निकलने में भी संकोच करने लगे हैं। बंदरों का आतंक बच्चों पर ही नहीं घरेलू सामग्रियों पर भी देखा जा सकता है। घर में रखी सामग्री को बंदर लेकर चंपत हो जाते है। वहीं दुकानदार भी बंदरों से खासे परेशान है तथा बंदर उनकी दुकान के बाहर रखा सामान भी उठा ले जाते है।
बंदर झुंड के रूप में आते है तथा एक झुंड में पांच से 6 बंदर होते है जो किसी भी समय हमला कर देते है। वहीं दुकानदार भी बंदरों से खासे परेशान है तथा बंदर उनकी दुकान के बाहर रखा सामान भी उठा ले जाते है। बंदर झुंड के रूप में आते है तथा एक झुंड में पांच से 6 बंदर होते है जो किसी भी समय हमला कर देते है। स्थानीय लोग बंदरों से निजात दिलवाने की मांग को लेकर अनेक बार पंचायत व प्रशासन से गुहार लगा चुके है परंतु कोई हल नहीं निकल रहा।ग्रामीणों ने पंचायत व प्रशासन से बंदरों की बढ़ती संख्या पर लगाम कसने की मांग की है एवं साथ ही बंदरों को पकड़ने के लिए विशेष मुहिम चलाने की मांग को प्रमुखता से उठाया है।
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