Mahendragarh News : वेद मंत्रों के साथ सप्त ऋषियों का पूजन कर धारण किए नए यज्ञोपवीत

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New Yagyopavits were worn after worshiping the seven sages along with Veda mantras.
श्रावणी उपाकर्म पर्व पर पूजन करते विप्रजन।

(Mahendragarh News) नारनौल। श्री गौड़ ब्राह्मण सभा के तत्वावधान गांव नसीबपुर स्थित जेठू बाबा मंदिर में विप्रजनों ने अपना पर्व श्रावणी उपाकर्म वेद मंत्रों के साथ बड़े धूमधाम मनाया। श्रावणी उपाकर्म शारदा संस्कृत महाविद्यालय के वयोवृद्ध आचार्य देवदत्त शास्त्री के सानिध्य में आयोजित किया गया, जबकि इसकी अध्यक्षता गौड़ सभा के प्रधान एडवोकेट राकेश मेहता ने की। इस आयोजन को भव्य रूप प्रदान करने के लिए गौड़ सभा के साथ श्री नूनीवाल ब्राह्मण सभा एवं विद् ब्राह्मण परिषद् के सदस्यों ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। सर्वप्रथम सभी विप्रजनों ने जेठू बाबा मंदिर के तालाब में जल क्रिया के दौरान वेद मंत्रों के द्वारा सभी नदियों का आह्वान कर ऋषि तर्पण व पितृ तर्पण किया। इसके बाद सभी ब्राह्मणों ने सप्त ऋषियों का पूजन व हवन कर नए यज्ञोपवीत धारण किए।

इस दौरान आचार्य क्रांति निर्मल ने मधुर ध्वनि के साथ वेद मंत्रों का उच्चारण कर श्रावणी कार्यक्रम समपन्न करवाया। कार्यक्रम के दौरान आचार्य देवदत्त शास्त्री ने शारदा संस्कृत महाविद्यालय के 11 नए ब्रह्मचारियों को यज्ञोपवीत धारण करवाए। इस मौके पर आचार्य देवदत्त शास्त्री ने कहा कि आज श्रावणी पर्व ब्राह्मणों का सबसे बड़ा पर्व है। उन्होंने कहा कि इस दिन हम सभी देवताओं व सप्त ऋषियों का पूजन करते है और अपनी शुद्धि करते हैं। आचार्य ने कहा कि आज संस्कृत दिवस भी है और संस्कृत देव वाणी है, इसलिए हम सभी ब्राह्मणों को इसका ज्ञान होना चाहिए।

आचार्य ने सभी को यज्ञोपवीत की महिमा के बारे में भी विस्तार से बताया। गौड़ ब्राह्मण सभा के प्रधान राकेश मेहता एडवोकेट ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म हमारा प्रमुख त्यौहार है और हम सबको एकजुटता के साथ इस पर्व को मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को संस्कार देने व सनातन धर्म को बचाए रखने के लिए इस तरह के आयोजन की नितांत आवश्यकता है।अंत में गौड़ सभा द्वारा सभी विप्रजनों को भोजन रूपी प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम में जेठू बाबा मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा सभी को जेठू बाबा की महिमा के बारे में विस्तार से बताया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से किशन लाल शर्मा, कृष्ण कुमार शर्मा, सुरेश शर्मा, दयाकिशन शांडिल्य, बद्रीप्रसाद शर्मा, गोपाल कृष्ण शास्त्री, पंडित राजेश नसीबपुर, पंडित राजेश बोहरा, आचार्य बजरंग शास्त्री, दीपक शास्त्री, पंडित मनोज शास्त्री, मनीष शास्त्री, मदन शास्त्री तथा खेमचंद शर्मा आदि सहित शारदा संस्कृत महाविद्यालय के सभी ब्रह्मचारी मौजूद थे।