(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के भारतीय ज्ञान प्रणाली केन्द्र द्वारा संस्कृत विभाग एवं योग विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘महर्षि अगस्त्य का भारतीय वैज्ञानिक परम्परा में योगदान‘ विषय पर केंद्रित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। काशी तमिल संगम 3.0 के अन्तर्गत आयोजित इस सेमिनार में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), नई दिल्ली के अनुवाद अध्ययन एवं प्रशिक्षण स्कूल के सहायक आचार्य डॉ. चित्रेश सोनी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहें।
सेमिनार की शुरुआत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण एवं सरस्वती वंदना के साथ हुई। तत्पश्चात डॉ. सी. एम. मीणा एवं डॉ. सुनील कुमार द्वारा श्रीफल भेंट कर मुख्य वक्ता का स्वागत किया। संस्कृत विभाग के शिक्षक प्रभारी डॉ. देवेंद्र सिंह राजपूत ने कार्यक्रम की रूपरेखा से प्रतिभागियों को अवगत कराया। विभाग के आचार्य डॉ. कृष्ण कुमार ने मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया।
सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ. चित्रेश सोनी कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी का गोमुख से प्रवाह होता है तथा विभिन्न मार्गों से होते हुए आती है तथा अंत में सागर में लीन होती है, उसी प्रकार भारतीय ज्ञान परंपरा एक विषय न होकर प्रत्येक विषय से जुड़कर ज्ञान का अथाह सागर है। उन्होंने वेदों के महत्त्व से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया। डॉ. सोनी ने कहा कि महर्षि अगस्त्य आयुध शास्त्र व तमिल व्याकरण इत्यादि ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न शास्त्रों के ज्ञाता थे। उन्होंने महर्षि अगस्त्य से सम्बन्धित विभिन्न स्थानों का वर्णन किया तथा इतिहास में विभिन्न उद्धरणों द्वारा उनके जीवन और कृतित्व का वर्णन भी किया।
विश्वविद्यालय में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान पीठ की अधिष्ठाता प्रो. पायल कंवर चंदेल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संस्कृत के क्षेत्र में अनुसंधान की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने अनुसंधान के क्षेत्र में रूचि बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के अंत में योग विभाग के शिक्षक प्रभारी डॉ. नवीन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन में मंच का संचालन संस्कृत विभाग के शिक्षक सुमित शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अजय पाल, डॉ. रीना स्वामी, डॉ. अर्चना कुमारी, तथा विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।