Mahendragarh News : खेतों से नमी गायब, किसानों के माथे पर पड़ी सलवटें

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Moisture disappears from the fields, farmers are worried
सतनाली में नमी के अभाव में बुवाई के बिना खाली पड़ा खेत।

(Mahendragarh News) सतनाली। सतनाली व आसपास के क्षेत्र में चैत्र-बैसाख की भांति खेतों में उड़ रही धूल देखकर रबी फसल की तैयारी में जुटे किसानों के होश फाख्ता हो गए हैं। क्षेत्र के किसानों के खेतों में नमी का नामोनिशान नहीं है। निचले सतह वाली धनहर खेतों में जब नमी नहीं है तो ऊंची खरपतवार खेतों में नमी ढूंढना भी मुश्किल है। कस्बा व आसपास के क्षेत्र में औसत से भी कम वर्षा होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

अक्टूबर माह आधा बीत जाने के बाद भी सरसों, चने की बिजाई के लिए मौसम अनुकूल हुआ ही नहीं है। ध्यान रहे कि खरीफ फसल बरसात के अभाव में किसानों के हाथ से निकल गई और अब रबी की बुवाई नहीं होने से किसान हक्के बक्के रह गए हैं तथा उनके समक्ष परेशानी और अधिक बढ़ गई है जिन किसानों के परिवार में नकद-आमदनी का दूसरा स्रोत नहीं है। किसानों को परिवार का पेट भरने, बच्चों की पढ़ाई लिखाई, विवाह-शादी के लिए जमीन बेचनी पड़ेगी। शादी-विवाह का सीजन शुरू होने वाला है।

ऐसे में किसानों के पास अपनी जमीन जायदाद बेचने के अलावा और कोई दूसरा जरिया नहीं है। मौसम ही जब अनुकूल नहीं हो तो सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाएं उपलब्ध संसाधनों का मोल ही क्या है। वैसे भी सरकार की सुविधाएं सहूलियतों का लाभ किसानों को मिलता ही कहा है। जहां कहीं नहर है वह फसल सूखने के बाद भी आ जाए तो गनीमत है। खरीफ सीजन में थोड़ी बहुत ही बारिश हुई।

रबी सीजन की बिजाई की जानकारी देने के लिए कृषि विभाग द्वारा सभी क्षेत्रों में कृषि शिविरों का आयोजन किया जाता है तथा इन शिविरों में इच्छुक जरूरतमंद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि उत्पादन, बीज मुहैया करवाए जाने के दावे कृषि विभाग द्वारा किए जाते रहे हैं। उपलब्ध अवसर का लाभ यदि किसान उठाते भी है तो वे बरसात व खेतों में नमी के अभाव में वे जोतेंगे व बोएंगे कैसे? खेतों में चैत्र-बैसाख माह की भांति धूल उड़ रही है।

खेतों में नमी का नामोनिशान तक नहीं है। जिसके चलते किसानों के माथे पर सिलवटें साफ दिखाई दे रही हैं। किसानों में शक्ति सिंह, फतेह सिंह, महासिंह, बलदेव, बिशन सिंह आदि की माने तो अब कृषि घाटे का सौदा होती जा रही है। किसान अपना पसीना बहाकर मेहनत करता है लेकिन कभी मौसम की मार तो कभी फसलों के दामों की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है।

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