Mahendragarh News : महात्मा गांधी का जीवन प्रेरणा का स्रोत : सुरेश जैन

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(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा गांधी बहुआयामी व्यक्तित्व के साथ एक संत विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुरेश जैन तथा विशिष्ट अतिथि की भूमिका में विश्वविद्यालय की प्रथम महिला व विज्ञान भारती हरियाणा की उपाध्यक्ष प्रो. सुनीता श्रीवास्तव उपस्थित रहीं। विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम के आयोजन के मुख्य संरक्षक विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व संरक्षक के रूप में समकुलपति प्रो. सुषमा यादव की गरिमामयी उपस्थिति रही।

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन

आयोजन में मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन अंतर्मुखी होकर सीखने का दिन है। महात्मा गांधी एक सदी पुरुष थे। किसी भी देश के इतिहास में कई सौ वर्षों में ऐसे व्यक्तित्व का जन्म होता है जोकि देवतुल्य विचारों वाला हो। श्री सुरेश जैन ने अपने संबोधन में गांधी जी बाल्य जीवन से ही एक संत के रूप में सत्य को धारण किए हुए थे। उन्होंने सदैव सत्य व अहिंसा का अनुसरण किया और इसे सर्वप्रथम स्वयं पर लागू किया।

गांधी जी ने ऐसा विमर्श तैयार किया जिसके परिणाम स्वरूप ग्राम विकास, शोषितों को सक्षम बनाने, दलितों के प्रति हीन भाव को खत्म करने, स्वदेशी का उपयोग करते हुए समाज को श्रेष्ठ, संस्कारित व आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। मुख्य वक्ता ने अपने संबोधन में युवाओं की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार नीति निर्माण कर सकती है लेकिन इसका सफलतम क्रियान्वयन और इसके माध्यम से बदलाव युवा शक्ति के संकल्प से ही आएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक बात भारत भूमि की है तो यह बेहद क्षमतावान है और हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है। उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में महात्मा गांधी को संत बताया।

स्वच्छता सहयोगियों को किया गया सम्मानित

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विद्यार्थियों व शिक्षकों द्वारा आयोजित इस सेमिनार और इसमें सम्मिलित मुख्य अतिथि के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी और उनके विचार उस कालखंड की आवश्यकता थे। सुभाष चंद बोस, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह भी भारत की आजादी में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। सभी ने अपनी-अपनी तरह से इस लड़ाई में योगदान दिया। कुलपति ने भगवान श्रीराम, श्री कृष्ण का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भी उनके समय के अनुरूप आचरण कर अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आज के समय में भी जरूरी है कि हम समझें कि कैसे भारत विकसित होगा और इस विकास का लाभ अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचेगा। विद्यार्थियों की भूमिका इस दिशा में महत्त्वपूर्ण है और अवश्य ही वे अपेक्षाओं व आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे।

इससे पूर्व में विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव ने मुख्य अतिथि व विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी एक संत थे। वे सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चले और उन्होंने स्वयं को सनातनी हिंदू बताते हुए वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास जताया और साथ ही साथ उन्होंने जाति प्रथा जैसी कुरीति का जमकर विरोध भी किया। प्रो. सुषमा यादव ने प्रतिभागियों को महात्मा गाँधी के जीवन से सीख लेते हुए स्वाध्याय की आदत को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संत बनने के लिए आवश्यक है कि हम छोटे-छोटे आकर्षण और लालच को त्यागकर मानवता के कल्याण के विषय में सोचें।

आयोजन के अंत में विश्वविद्यालय में स्वच्छता के लिए प्रयासरत स्वच्छता सहयोगियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने स्वच्छता हेतु श्रमदान भी किया। इस अवसर पर शोध अधिष्ठाता प्रो. पवन कुमार शर्मा भी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रो. फूल सिंह, प्रो. आकाश सक्सेना, प्रो. विकास गर्ग, प्रो. राकेश कुमार, डॉ. राजेंद्र मीणा, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. नीरज कुमार, डॉ. सुमित सैनी, डॉ. भारती बत्री, डॉ. दुष्यंत कुमार, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. मोहित कुमार, सुश्री संगीता, श्री शम्मी मेहरा व छात्र सहयोगी अक्षतकांत व रमेश विशनोई ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

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