Mahendragarh News : मुफ्त कानूनी सलाह के लिए न्यायिक परिसर नारनौल, महेंद्रगढ़ व कनीना में फ्रंट ऑफिस स्थापित

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Judicial complex front office set up for free legal advice
सीजेएम शैलजा गुप्ता।
  •  आमजन किसी भी कार्य दिवस को आकर मुफ्त में ले सकते हैं कानूनी सलाह
  • नालसा हेल्पलाइन नंबर 15100 व डीएलएसए 01282-250322 पर संपर्क कर भी ले सकते हैं कानूनी जानकारी

(Mahendragarh News) नारनौल। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से मुफ्त कानूनी सलाह एवं सहायता लेने के लिए न्यायिक परिसर नारनौल, महेंद्रगढ़ व कनीना में फ्रंट ऑफिस स्थापित किए गए हैं। इनमें कोई भी आम नागरिक मुफ्त कानूनी सलाह ले सकते हैं।

यह जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने बताया कि मुफ्त कानूनी सलाह एवं सहायता लेने के लिए न्यायिक परिसर नारनौल, महेंद्रगढ़ व कनीना में फ्रंट ऑफिस स्थापित किए गए हैं। इसमें आमजन किसी भी कार्य दिवस को आकर मुफ्त में कानूनी सलाह ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा मुफ्त कानूनी सलाह एवं सहायता लेने के लिए नालसा हेल्पलाइन नंबर 15100 व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर 01282-250322 पर संपर्क कर कानूनी जानकारी ले सकते हैं।

लोक अदालत-वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र

नारनौल। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा-19 के तहत अदालत के समक्ष लंबित मामले और पूर्व लंबित मामलों के निपटारे के लिए लोक अदालत का गठन किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर आयोजित लोक अदालत में वैवाहिक / पारिवारिक विवाद, अपराधिक मामले जो कि मिश्रित हों, भूमि अधिग्रहण मामले, श्रम विवाद, कामगार की क्षतिपूर्ति विवाद, बैंक रिकवरी मामले (राष्ट्रीयकृत, बहु-राष्ट्रीय और निजी बैंक), पेंशन मामले, हाउसिंग बोर्ड और स्लम क्लीयरेंस और हाउसिंग फाइनेंस मामले, उपभोक्ता शिकायत मामले, बिजली मामले, टेलीफोन बिल विवाद, हाउसटैक्स आदि सहित म्यूनिसिपैलिटी के मामले,

कामगार की क्षतिपूर्ति विवाद मामलों का निपटारा किया जाता है। इसके अलावा अन्य दीवानी मामले जैसे विभाजन, कब्जे के मामले, किराया सम्बन्धी मामले, इजमेंन्ट्री अधिकार, कॉन्ट्रेक्ट्स वगैरा।लोक अदालत के माध्यम से ऐसे मामलें जो अदालत तक पहुंचे ही न हो, उनका भी निपटारा किया जा सकता है। जन-उपयोगी सेवाओं से सम्बन्धित प्री-लिटिगेशन (कोर्ट में मामले दायर करने से पहले) विवादों के सुलह और निपटाने के लिए स्थाई लोक अदालत का प्रावधान भी है। जन-उपयोगी सेवाएं, यात्रा सेवा, डाक, तार या टेलीफोन सेवा, जनता को विद्युत, प्रकाश या जल की आपूर्ति, सार्वजनिक सफाई या स्वच्छता प्रणाली, अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्रों में सेवाएं या बीमा सेवा से सम्बन्धित सेवाएं हैं। यदि आपका कोई विवाद कोर्ट में लंबित है और उसे आप आपसी समझौते से निपटाना चाहते हैं या फिर कोई विवाद अभी कोर्ट में पहुंचा ही नहीं है और उसे आप आपसी समझौते से निपटाना चाहते हैं, तो तुरन्त अपने नजदीकी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क करें जो आपके विवाद को लोक अदालत में निपटाने के लिए हर सम्भव मदद करेगा।

यह ले सकते हैं मुफ्त कानूनी सेवाएं

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने बताया कि अनुसूचित जाति अथवा जन जाति के सदस्य, मनुष्यों का अवैध व्यापार किये जाने में आहत व्यक्ति, स्त्रियों अथवा बच्चे, अन्धापन, कुष्ठरोग, एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाने वाले खानाबदोश, बहरापन, दिमागी कमजोरी की निर्योग्यता से ग्रस्त व्यक्ति, सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, वर्ग विशेष पर अत्याचार, बाढ़, अकाल, भूकम्प अथवा औद्योगिक आपदा से ग्रस्त व्यक्ति मुफ्त में कानूनी सेवाएं ले सकते हैं।

इसी प्रकार एक औद्योगिक कामगार, किसी व्यक्ति को उस मामले में, जहां उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा प्रदान करता है, जनहित याचिका के मामले में किसी व्यक्ति को, किशोर अपराधी अर्थात 18 वर्ष तक आयु के व्यक्ति को सम्मिलित करते हुए परिक्षणाधीन व्यक्ति जो हिरासत में, सुरक्षा ग्रह अथवा मानसिक अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को एक ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 3 लाख रुपए से कम है। स्वतन्त्रता सेनानी या आश्रित, वरिष्ठ नागरिक, दंगा पीडित और उनके परिवार वाले, हिजड़ा (किन्नर) समुदाय से सम्बन्धित व्यक्ति तथा एचआईवी या एड्स पीड़ित मुफ्त में कानूनी सेवाएं ले सकते हैं।

भरण पोषण प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक अधिकार

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने बताया कि भरण पोषण प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक का अधिकार है। माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 यह अधिनियम आपको सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है।

उन्होंने बताया कि 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं। ‘माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007’ के तहत वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण के अलावा भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा एवं इलाज आदि उपलब्ध कराया जाता हैं। ‘माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत यदि आप माता-पिता, दादा-दादी या वरिष्ठ नागरिक की श्रेणियों में आते हैं तो आप इस अधिनियम के तहत भरण-पोषण के हकदार हैं।

उन्होंने बताया कि माता-पिता की आयु यदि 60 वर्ष से कम हो तो भी इस अधिनियम के तहत भरण पोषण का दावा कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिक यह दावा अपने बच्चों, पोता-पोती एवं रिश्तेदारों के विरूद्ध कर सकते हैं। रिश्तेदार का अर्थ उस निसंतान वरिष्ठ नागरिक के कानूनी उत्तराधिकारी से लिया जाता है, जो कि नाबालिग नहीं हैं। भरण पोषण का दावा विशेष अधिकरण (ट्रिब्यूनल) के सामने ही डाला जा सकता है, जिसके अध्यक्ष उप-खण्ड अधिकारी (एसडीओ) होते हैं। इन मामलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आपकी सहायता के लिए सदैव तत्पर है।

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