(Mahendragarh News नारनौल । कृषि विभाग नारनौल व क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र फरीदाबाद की संयुक्त टीम ने आज खण्ड अटेली के गांव मिर्जापुर, बाछौद तथा भिलवाड़ा व खण्ड नांगल चौधरी के गांव जैनपुर, मौसमपुर, बिहारीपुर तथा नांगल कालिया का दौरा किया। इस दौरान खंड अटेली व नांगल चौधरी के कुछ गांवों में रेड हेयरी केटरपिलर देखा गया है। यह बहुभक्षी कीट है। जो खरीफ की सभी फसलों में तथा खरपतवार पर भी पाया जाता है। कृषि विभाग व क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र की टीम ने बताया कि इस कीट की सूण्डियां जब छोटी अवस्था में होती है तो ये इक्कठी रहकर पत्तों की निचली सतह पर नुकसान करती हैं तथा पत्तों को छलनी कर देती है। ये इधर-उधर अकेली घूमती रहती हैं तथा पत्तों को खाती है।
लाल बालों वाली सूण्डियां जुलाई के दूसरे पखवाड़े से अगस्त मास के अन्त तक सक्रिय रहकर नुकसान करती हैं। दूसरी प्रजाति की बालों वाली सूण्डी अगस्त से अक्तूबर तक भारी नुकसान करती है। उन्होंने बताया कि रैड हेयरी केटरपिलर खरीफ की सभी फसलों व खरपतवार की पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन अभी यह इसकी शुरूआत है। इसलिए किसान इसके नियंत्रण के लिए इन तकनीकों को अपनाए। खेतों के आसपास खरपतवार इक्कठा न होने दे क्योंकि से कीड़े उन पर अंडे देते है तथा उन्हें वैकल्पिक होस्ट की तरह उपयोग करते है।
खरीफ की फसलों की कटाई के बाद खेतों में गहरी जुताई करें जिससे बालों वाली सूण्डियों के प्यूपा बाहर आ जाते हैं तथा पक्षियों द्वारा नष्ट कर दिए जाते है। कीटों के अंडे के समूहों को नष्ट कर दें। पत्तियों को छोटी सुंडी सहित तोड़ के गहरे मिट्टी में दबा दें या नष्ट कर दें। बड़ी सूण्डियों को भी एकत्रित कर के नष्ट कर दें। बालों वाली सूण्डियों में प्रौढ़/पतंग रौशनी की तरफ आकर्षित होते हैं। इसलिए लाइट ट्रैप का उपयोग कर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। रैड हेयरी कैटरपिलर का अधिक प्रकोप होने पर नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग कर उन्हें नियंत्रित कर फसल को बचाया जा सकता है। बड़ी सूण्डियों की रोकथाम के लिए 500 मिलीलीटर क्विनलफास 25 ई.सी. को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड छिड़काव करें। निरीक्षण के दौरान कृषि विभाग नारनौल की ओर से सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डा. हरपाल सिहं, अटेली कृषि विकास अधिकारी डा. सुधीर यादव तथा क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र फरीदाबाद की ओर से पौधा संरक्षण अधिकारी लक्ष्मीचंद, सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी सूरज बरनवाल व वैज्ञानिक सहायक लख्मीचंद उपस्थित थे।
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