Mahendragarh News : भारतीय ज्ञान परंपरा है विश्व में बेजोड़- लेफ्टिनेंट वीरेंद्र पाल

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Indian knowledge tradition is unmatched in the world- Lieutenant Virendra Pal
हकेवि में आयोजित दक्षता विकास कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञ, शिक्षक एवं प्रतिभागी।

(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में आयोजित दक्षता विकास कार्यक्रम में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के सहआचार्य लेफ्टिनेंट डॉ. वीरेंद्र पाल विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा हर समस्या का समाधान उपलब्ध करवाने में सक्षम है, जो मानवता तथा समाज की उन्नति के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर हम भारतीय धर्म, ग्रंथों, गीता और पुराण आदि को पढ़ने से हमारी सोच विस्तारित होगी। कुलपति ने कहा कि लेफ़्टिनेंट डॉ. वीरेंद्र पाल का भारतीय ज्ञान परंपरा पर काफी गहन और विस्तारित कार्य है। इसका लाभ दक्षता कार्यक्रम के प्रतिभागियों को अवश्य होगा।

आयोजन की शुरुआत में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रवीण और डॉ. कुमार पर ने विशेषज्ञ का स्वागत किया। विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट डॉ. वीरेंद्र पाल ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारतीय ग्रंथों में समाज की एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया है। उसमें हर समस्या का हल है। उन्होंने कहा कि पुरातन समय में हमारे यहां तक्षशिला, नालंदा जैसे महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान थे। उस समय भी हमारे यहां पर हर बात वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर होती थी। हमारी शिक्षण पद्धति का आधार मानवतावादी दृष्टिकोण और सभी का कल्याण था।

अगर हम भारतीय ज्ञान परंपरा को गहराई से समझें तो हम समाज को उन्नति के रास्ते पर तेजी से ले जा सकते है। उन्होंने कहा कि मैकाले इस शिक्षा पद्धति को खत्म करना चाहते थे इसीलिये वे यहां पर अंग्रेजी शिक्षा पद्धति लेकर आये। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षण पद्धति के साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा का भी गहराई से अध्ययन करना चाहिए ताकि हम यह ज्ञान विद्यार्थियों को सही तरीके से दे सके और विद्यार्थी भी भारत की सभ्यता व संस्कृति को गहराई से जान सके। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्यों के अनुसार है और समाज को एक नई दिशा देने वाली है।

उन्होंने सभी प्रतिभागियों से भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित पुस्तक पढ़ने का आह्वान किया। आयोजन के अंत में प्रो. रविंद्र पाल अहलावत और प्रो. जेपी भुक्ककर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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