Mahendragarh News : लैंगिक समानता और नारीवाद पर हुआ वाद-विवाद कार्यक्रम का सफल आयोजन

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Debate program organized
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को संबोधित करते डॉ. पविता यादव।

(Mahendragarh News ) महेंद्रगढ़। राजकीय महाविद्यालय, महेंद्रगढ़ के जेंडर स्टडीज सोसायटी और महिला प्रकोष्ठ के तत्वाधान में ‘लैंगिक समानता और नारीवाद‘ विषय पर एक वाद-विवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और लैंगिक असमानता, नारीवाद, और समाज में महिलाओं की भूमिका पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. विजय यादव एवं महाविद्यालय की जेंडर स्टडीज सोसायटी और महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. पविता यादव ने किया।

महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. विजय यादव ने अपने अध्यक्षीय संदेश में कहा कि इस प्रकार के वाद-विवाद कार्यक्रम विद्यार्थियों के भीतर न केवल जागरूकता पैदा करते हैं, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और सार्थक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लैंगिक समानता और नारीवाद जैसे विषयों पर चर्चा वर्तमान समय की आवश्यकता है, और यह विद्यार्थियों के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. पविता यादव ने लैंगिक समानता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल पुरुषों और महिलाओं के बीच संसाधनों की समानता नहीं है, बल्कि इसका वास्तविक अर्थ सभी लिंगोंकृमहिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर और लिंग-विविध लोगोंकृको बराबर के अधिकार, अवसर, और जिम्मेदारियां प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि लैंगिक समानता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज में किसी भी व्यक्ति के अवसर उनके जन्म से निर्धारित लिंग पर निर्भर न हों।

जेंडर स्टडीज समिति की सदस्या डॉ. विजयाबाई ने नारीवाद की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि नारीवाद केवल महिलाओं के अधिकारों की बात नहीं करता, बल्कि यह समाज की उन सभी धारणाओं को चुनौती देता है जो महिलाओं की भूमिका को सीमित करती हैं। उन्होंने कहा कि लोक कथाएं और समाज की धारणाएं तब सफल होंगी, जब वे महिलाओं के रूप, गुण, और शौर्य का यथार्थवादी चित्रण करें और उन्हें उनके साहस और योगदान के आधार पर सम्मान दें।

प्रो. विजय यादव ने कहा कि लैंगिक समानता का मतलब केवल एक जैसे अधिकार नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमताओं के अनुसार समान अवसर देना है। यह समय है कि हम समाज में पुराने पूर्वाग्रहों को तोड़कर महिलाओं और अन्य लिंग-विविध लोगों के साथ समानता का व्यवहार करें। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे लैंगिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में अपना योगदान दें।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. पविता यादव ने सभी प्रतिभागियों को उनके सक्रिय योगदान के लिए धन्यवाद दिया और भविष्य में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन का संकल्प लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विद्यार्थियों और महाविद्यालय के सभी सदस्यों ने प्रशंसा की।

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