Mahendragarh News : चुनावी रण में निर्दलियों की फौज से बिगड़ सकते है कांग्रेस के समीकरण,

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124 candidates filed nomination in the district
(Mahendragarh News) सतनाली। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व शिक्षा मंत्री तथा करीब 55 वर्ष से हरियाणा में भाजपा को अपने खून पसीने से सींचकर सत्ता तक पहुंचाने वाले प्रो. रामबिलास शर्मा का महेंद्रगढ़ से टिकट काटकर कंवर सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। कंवर सिंह यादव के भाजपा टिकट से मैदान में उतरने के साथ ही अहीर बाहुल्य क्षेत्र महेंद्रगढ़ में विधानसभा चुनाव रोचक हो गया है। भाजपा ने यहां से कद्दावर नेता रामबिलास शर्मा का टिकट काटकर पहली बार अहीर समाज के कंवर सिंह पर अपना दांव खेला है। कंवर सिंह यादव भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता है तथा करीब 35 वर्ष से भाजपा से जुड़े है। अपनी सादगी, विनम्र व्यवहार व आमजन के साथ सीधे जुड़ाव के चलते वे महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अपनी अच्छी खासी पकड़ के साथ बेदाग छवि की पहचान भी रखते है। माना जा रहा है कि महेंद्रगढ़ में सीधा मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होगा। यह भी काबिले गौर है कि महेंद्रगढ़ सीट से पिछले काफी दशकों से भाजपा से रामबिलास शर्मा व कांग्रेस से राव दान सिंह ही चुनाव मैदान में उतरते रहे है। कांग्रेस ने एक बार फिर से राव दान सिंह पर दांव खेला है जबकि भाजपा ने रामबिलाश शर्मा की जगह कंवर सिंह यादव को मैदान में उतारा है।

पहली बार यहां से टिकट मिलने पर कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के समीकरण गड़बड़ा रहे

महेंद्रगढ़ विधानसभा में रामबिलास शर्मा के प्रभाव के चलते भाजपा का अच्छा खासा प्रभाव है तथा साथ ही भाजपा से अहीर समाज कोc है। अहीर समुदाय का वोट बैंक जो राव दान सिंह के साथ जुड़ा हुआ है वह अब कंवर सिंह को भाजपा टिकट मिलने के साथ ही खिसकता नजर आ रहा है क्योंकि कंवर सिंह की बेदाग छवि व विनम्र व्यवहार के चलते हर व्यक्ति तक उनकी पहुंच है। वे आमजन के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते है जबकि राव दान सिंह से मिलने के लिए क्षेत्र के लोगों को गुडग़ांव जाना पड़ता है। इसी के साथ कंवर सिंह यादव के रूप में नया नेता मिलने से अहीर समाज के वे लोग जो दान सिंह से ऊब चुके है तथा किसी कारणवश नाराज है वे भी कंवर सिंह यादव से जुडऩे लगे है। वहीं गैर अहीर वोट बैंक पर भी कंवर सिंह यादव की अच्छी पकड़ है तथा प्रो. रामबिलास शर्मा का आशीर्वाद अगर उन्हें सही मायने में मिला तो कंवर सिंह यादव महेंद्रगढ़ में कमल खिला सकते है। अन्य उम्मीदवारों की बात की जाए तो यहां से इनेलो-बसपा से सुरेंद्र कौशिक, राजपा से राकेश तंवर, निर्दलीय बलवान फौजी, पूर्व एसडीएम संदीप सिंह व डा. भूप सिंह यादव प्रमुख है।

सुरेंद्र कौशिक इनेलो व बसपा के वोट बैंक के सहारे अपना ताल ठोक रहे

संदीप सिंह ने जहां 2019 के चुनाव में 30 हजार के करीब वोट हासिल कर अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज करवाई थी वहीं वे अबकि बार पुन: चुनावी रण में जोर शोर से प्रचार में जुटे है। माना जा रहा है कि उनके वोट बैंक से सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। वहीं सुरेंद्र कौशिक इनेलो व बसपा के वोट बैंक के सहारे अपना ताल ठोक रहे है। निर्दलीय बलवान फौजी जहां अपने संघर्ष व जन मुद्दो पर किए गए आंदोलन के बल पर चुनावी मैदान में डटे है वहीं निर्दलीय डा. भूप सिंह यादव कोई चर्चित चेहरा नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से यहां कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान होता दिखाई दे रहा है। वहीं राजपा से राकेश तंवर भाजपा के कोर वोट बैंक को प्रभावित कर सकते है। राकेश तंवर राजपूत समाज को एकजुट करने के प्रयास में है लेकिन राजपूत वोट बैंक भाजपा का वोट बैंक रहा है। ऐसे में राकेश तंवर को मिलने वाला वोट कहीं न कहीं सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। बहरहाल अभी चुनाव प्रचार चल रहा है तथा रोजाना नए नए समीकरण बनेंगे व बिगड़ेंगे परंतु इतना अवश्य है कि भाजपा द्वारा अहीर प्रत्याशी कंवर सिंह के रूप में खेला गया दांव कांग्रेस प्रत्याशी के लिए परेशानी का सबब अवश्य बन सकता है।