(Mahendragarh News) नारनौल । बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटीकरा में आज चरक जयंती मनाई। कार्यक्रम में उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पंकज कौशिक ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की।
डॉ. पंकज कौशिक ने कहा कि महर्षि चरक ने आयुर्वेद चिकित्सा का संपूर्ण ज्ञान रखने वाले ग्रंथ चरक संहिता की रचना की थी। यह दिन आयुर्वेद महान आचार्य चरक को समर्पित है। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष सावन महीने की पंचमी को चरक जयंती मनाई जाती है। उन्होंने उपस्थित छात्रों को चरक संहिता के महत्ता को बताते हुए कहा कि आयुर्वेद का जो सिद्धांत इस ग्रंथ में विद्यमान है, वह अन्य संहिताओं में भी मिल सकता है परंतु जो चिकित्सा सिद्धांत यहां वर्णित नहीं है, वह अन्य किसी आयुर्वेद ग्रंथ में नहीं है।
इसलिए छात्रों को इस ग्रंथ का गहन अध्ययन करना चाहिए ताकि वे भविष्य में अच्छे आयुर्वेद चिकित्सक बन सकें। बीएएमएस प्रथम वर्ष के सभी छात्रों ने चरक संहिता के श्लोकों का उच्चारण किया।
उन्होंने बताया कि महर्षि चरक के सिद्धांतो का अनुसरण करते हुए ही इस अस्पताल में सभी चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा जिला महेन्द्रगढ़ क्षेत्र के मरीजों का ईलाज किया जाता है। इसका लाभ अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले 250 से 300 मरीज उठा रहे हैं। इसमें उन्हें पंचकर्मा, क्षारसूत्र, अग्निकर्म चिकित्सा व मर्म चिकित्सा प्रदान की जाती है।
इस समय अस्पताल में जोड़ों के रोग, गठिया, पैरालिसीस, सियाटिका,स्पॉण्डिलायटीस, बवासीर, भगंदर, कब्ज, गुर्दे की पथरी, चर्म रोग, शुगर, एसिडीटी, ब्लड प्रेशर, पेट के रोग, स्त्री रोग, बाल रोग, माइग्रेन के अलावा अन्य पुरानी बीमारीयों का ईलाज निशुल्क आयुर्वेदिक औषधियां द्वारा किया जाता है। हरियाणा सरकार द्वारा यहां उपचार के लिए भर्ती होकर ईलाज कराने वाले मरीजों को निशुल्क भोजन भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। यहां रोगों से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली के बारे में जानकारी के साथ ही प्रातः काल में प्रतिदिन योग कक्षा का संचालन अस्पताल में किया जाता है। कार्यक्रम में मंच संचालन संहिता विभाग के प्रोफेसर डॉ. कुमार आनंद ने किया। डॉ. सतीश कुमार शर्मा ने महर्षि चरक के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को उनके बारे में बताया।इस अवसर पर प्रोफेसर गंगा विष्णु, प्रोफेसर रचना मदान, डॉ. रितेश, डॉ. डिंपल, डॉ. महेश, डॉ. अनिल, डॉ. संजय, डॉ. जितेन्द्र सुहाग, डॉ. कुलभूषण, डॉ. गौरव मुंजाल के अलावा संस्थान का अन्य स्टॉफ मौजूद था।