Mahendragarh News : बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटीकरा में

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बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटीकरा में
बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटीकरा में

(Mahendragarh News) नारनौल।  बाबा खेतानाथ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पटीकरा में आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर प्रकृति परीक्षण अभियान की शुरूआत की गई। हरियाणा आयुष विभाग की निदेशक डॉ. संगीता नेहरा ने डिजिटल परीक्षण एप के माध्यम से संस्थान में आए रोगी का प्रकृति परीक्षण किया तथा प्रकृति परीक्षण करने की विधि को सभी प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों को सिखाया। सभी छात्रों ने डिजिटल एप पर अपने आप को इस कार्य के लिए स्वयं को पंजीकृत किया। इसके पश्चात कॉलेज के प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास गुज्जरवार्र ने एनसीआईएसएम के मानकों के विषय में जानकारी देते हुए संस्थान के सभी शिक्षकों एवं चिकित्सकों से आह्वान किया कि हम सभी को स्वयंसेवक के रूप में जिले के लगभग 25000 लोगों का प्रकृति परीक्षण एक माह में पूर्ण करना है।

प्रकृति परीक्षण अभियान की शुरूआत

प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. श्रीनिवास गुज्जरवार ने बताया कि छात्रों ने क्लिनीकल अध्धयन के रूप में च्यवनप्राश बनाया। आचार्य भृगु पुत्र च्यवन ऋषि द्वारा निर्मित दिव्य औषधि च्यवनप्राश का निर्माण इस संस्थान के शिक्षकों डॉ. रचना मदान, डॉ. मुनेश यादव, डॉ. कुलभूषण शर्मा के निर्देशन में छात्रों के द्वारा महर्षि च्यवन की तपोभूमि में किया गया। यजुर्वेद पर प्राप्त टीका शतपथब्राह्मण के अनुसार राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या का वृद्ध च्यवन ऋषि से विवाह उपरांत पुनः यौवन की प्राप्ती के लिए च्यवनप्राश औषधी का निर्माण किया गया। च्यवनप्राश एक उत्तम रसायन औषधी है, जो शरीर के सूक्ष्मतम कोशिकाओं को पुनर्जीवन देने का कार्य करती है। च्यवनप्राश का मुख्य घटक आंवला स्वास्थ्य संरक्षण के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते हुए शरीर का कायाकल्प करती है। इसका प्रमाण विभिन्न शोधो द्वारा सिद्ध हो चुका है। च्यवनप्राश के निमार्ण में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न औषधियां जैसे वृहतपंचमूल, लघुपंचमूल, कटैरीद्वय इत्यादी एवं विभिन्न प्रक्षेप द्रव्य जैसे पिप्पली, इलायची, नागकेसर, तेजपत्र आदि शरीर की विभिन्न वातज, पितज एवं कफज व्याधियों का शमन करते हैं। इस स्वयं निर्मित च्यवनप्राश को संस्थान के ही स्टॉफ में वितरित किया गया।

उपचिकित्सा अधीक्षक डॉ. पंकज कौशिक ने बताया कि इस अभियान का पहला चरण की शुरूआत महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मूर्मू जी का प्रकृति परीक्षण करके की गई। यह अभियान का पहला चरण पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर 2024 तक तक चलेगा। इसके लिए दिल्ली से ट्रेनिंग प्राप्त करके आए डॉ. रितेश को नोडल अधिकारी बनाया गया है और साथ में ही स्वस्थवृत व रस शास्त्र विभाग के शिक्षक एवं चिकित्सक छात्रों के सहयोग से जिला महेंद्रगढ़ व आस-पास के क्षेत्र के लोगों का प्रकृति परीक्षण करेंगे।

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