(Mahendragarh News) नारनौल। क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल से सहायक वैज्ञानिक (बागवानी) डॉक्टर मुकेश कुमार ने आज गांव गढ़ी महासर व राजपुरा गांव के विभिन्न बागों का निरीक्षण किया तथा नींबू वर्गीय फलों के पौधों में देशी फुटाव को तुरंत तोड़ने की सलाह दी।
नींबू वर्गीय फलों के पौधों में देशी फुटाव को तुरंत तोड़ने की दी सलाह
इस मौके पर उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि अगर हम देशी फुटाव को समय पर नहीं तोड़ते हैं तो मूल पौधे की जगह देशी पौधे की ज्यादा बढ़वार हो जाएगी इससे फल की गुणवता पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने सर्दी के मौसम में पड़ने वाले घने कोहरे, धुंध और कड़ाके की सर्दी के कारण सब्जियों एवं फलों को पाले की वजह से होने वाले नुकसान से फसलों को बचाने के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पाले से सबसे पहले सब्जी वाली फसलों की पत्तियां प्रभावित होती हैं, फूल झुलस कर गिर जाते हैं, फिर टहनियां व बाद में पौध सूखने लगते हैं।
पौधों पर पहले काले व भुरे दानेदार धब्बे बनते हैं फिर सब्जियों के फलों पर धब्बे बनते हैं और फसल खराब हो जाती है। इसके लिए किसान सावधानी बरते हुए हल्की सिंचाई करें और फसलों को बचाने के लिए लोटनल तकनीक का सहारा लें या फसलों को पन्नियों से ढंके। इस अवसर पर अटेली उद्यान विकास अधिकारी राहुल कुमार भी मौजूद थे।
किसान उचित कदम उठाकर कर सकते हैं बागवानी फसलों का बचाव
मौसम विभाग से पाला पड़ने की सूचना मिलते ही फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाएगा।
घुलनशील गंदक का छिड़काव जब पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर फफूंदनाशक रसायन का छिड़काव करें। रात के समय सब्जियों के पौधो को प्लास्टिक की पन्नियों से ढ़क दें ताकि पाले से बचाव हो सके। जिनकी सब्जियों की नर्सरी तैयार है, उन्हे ठंड से बचाने के लिए प्लास्टिक या पुराल से ढकें।
लो-टनल तकनीक का इस्तेमाल करें, इससे कम नुकसान होगा। दिसंबर महीने के अन्त में सिट्रस के पौधों की ट्रेनिंग व प्रूनिंग करके खाद अवष्य डालें। बेर के पौधों में पाउडरी मिल्डयू से बचाव के लिए सल्फैक्स दो ग्राम प्रति लिटर तथा फल मक्खी से बचाव के लिए 1 एमएल रोगोर प्रति लिटर की स्प्रे करें। आंवला की तुड़ाई समय पर करें। फलदार पौधो के तनों पर जमीन के स्तर से तीन फिट तक सफेदी तथा तीन ग्राम सीओसी का तनों पर लेप करें।
बागवानी तकनीकों पर अनुदान का भी प्रावधान
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि यदि कोई किसान सब्जी की खेती मंलचिग, लो-टनल, टपका सिंचाई, मिनी स्प्रीकंलर या बेल वाली सब्जी की खेती बांस के सहारे करता है तो उसको सरकार द्वारा 15 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मंलचिग लगाने पर 6400 रुपए प्रति एकड़, लो-टनल पर 10.5 से 14.5 रुपए प्रति वर्ग मीटर, बांस का ढांचा तैयार करने पर 31 हजार 250 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से पहले आओ पहले पाओ के आधार पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसान एचओआरटी नेट जीओवी डॉट इन पर अपना पंजीकरण करा कर स्कीम के लिए आवेदन कर सकता है। इस संबंध में अन्य किसी जानकारी के लिए संबंधित ब्लॉक के उद्यान विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।
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