(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया के बीच केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को खुश करने के लिए बीच का रास्ता निकालते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम को अनेक शर्तों के साथ मंजूरी दी है। जबकि कर्मचारी काफी वर्षों से एनपीएस की जगह ओपीएस की मांग करते आ रहे है। अगर एनपीएस और यूपीएस स्कीम इतनी ही अच्छी है। तो केंद्र व राज्य सरकारें इसे अपने विधायकों, मंत्रियों, सांसदों पर लागू क्यों नहीं करती। उपरोक्त विचार हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन के प्रदेश प्रेस प्रवक्ता सुजान मालड़ा ने अपने बयान में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो यूपीएस के तहत कर्मचारियों को एक अप्रैल 2025 से पेंशन का लाभ देने का बयान जारी किया है। वो सिर्फ और सिर्फ चुनावी जुमला है और कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलने का कुप्रयास है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान व अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन लागू हो चुकी थी। परन्तु सत्ता परिवर्तन होने और भाजपा की सरकार आने पर उन राज्यों में पुनः एनपीएस लागू कर दिया गया। जिससे सरकार का दोहरा चरित्र जनता के सामने आया है। सुजान मालड़ा ने आगे कहा कि जब तक पीएफआरडीए कानून रद्द नहीं होगा। तब तक हुबहू पुरानी पेंशन स्कीम बहाल नहीं हो सकती। इसलिए सरकार पहले पीएफआरडीए कानून को रद्द करें और यदि सरकार वास्तव में ही लाखों कर्मचारियों की हितैषी है। और उनकी नीयत में खोट नहीं है तो पीएफआरडीए कानून रद्द कर राजनेताओं की तरह सरकारी कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दें। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा सरकार की कोई भी स्कीम मंजूर नही है। इसको लेकर कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ गहरा रोष है। जब तक सरकार एनपीएस और यूपीएस का झुनझुना देना बंद नहीं करेगी और ओपीएस बहाल नहीं करेगी तब तक कर्मचारियों का संघर्ष जारी रहेगा।