(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। जब तुम जग में आई थी, जग हंसा तुम रोई । ऐसी करनी कर चली, तुम हंसी जग रोया। मानुष योनि का चोला हमें काफी पुण्य करने के बाद प्राप्त होता है। कर्म करने के बाद जब मनुष्य सांसारिक जीवन छोड़ कर चला जाता है। तब उसके अच्छे व बुरे कर्म ही पीछे रह जाते है। इसलिए हमें जीते जी सद्कर्म ही करने चाहिए। उपरोक्त विचार कर्मचारी नेता सुजान मालड़ा ने आनावास निवासी 95 वर्षीय शरबती देवी के आकस्मिक निधन पर आयोजित एक शोक सभा में व्यक्त किए।
जगरूप यादव ने बताया कि उनकी दादी स्वर्गीय शरबती देवी लगभग 95 वर्ष की थी। लंबी उम्र होने के बावजूद भी वे अपने अधिकतर काम खुद कर लेती थी। घर की मुखिया होने के साथ-साथ वो धार्मिक कार्यों में भी विश्वास रखती थी। 12 दिसंबर को उनका आकस्मिक निधन हो गया। वे अपने पीछे बेटा रणजीत सिंह, दो बहुएं, पोतों व पड़ पोत्रो सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गई । उनकी शोक सभा में किशोरी लाल, राम अवतार, पूर्णमल, रामफल, श्रीभगवान, कृष्ण कुमार, भूप सिंह सहित अनेक लोग मौजूद थे।
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