(Mahendragarh News) महेंद्रगढ़। भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक एकजुटता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से नेशनल रिसर्च मोर्दोविया स्टेट यूनिवर्सिटी सारांक, रूस और आरपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के संयुक्त सहयोग से एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 17 मार्च 2025 को शाम 6:00 बजे आरपीएम कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंसेज, महेंद्रगढ़, हरियाणा के ऑडिटोरियम में होगा। यह जानकारी न्यू एरा एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. धर्मेन्द्र कुमार ने दी।
डॉ. धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि मोर्दोविया स्टेट यूनिवर्सिटी एकमात्र ऐसी रूसी यूनिवर्सिटी है, जहां भारतीय सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किया गया है। यह केंद्र भारत और रूस के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्रोत्साहित करता है और दोनों देशों के बीच एक मजबूत बौद्धिक एवं सांस्कृतिक पुल का कार्य करता है। उन्होंने बताया कि मोर्दोविया स्टेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर दिमित्री ग्लुश्को भारत-रूस के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर अत्यंत गंभीर हैं और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। उनकी पहल से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
रूसी बैले, भारतीय फैशन शो और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होंगे मुख्य आकर्षण
डॉ. धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम में मोर्दोविया स्टेट यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल कल्चर, रूस द्वारा प्रस्तुत विश्व प्रसिद्ध रूसी बैले डांस का प्रदर्शन किया जाएगा। रूसी बैले, रूस की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसकी जादुई प्रस्तुति दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी। इसके साथ ही, भारत की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को दर्शाने के लिए भारतीय पारंपरिक परिधानों और आधुनिक फैशन के अद्भुत संयोजन का प्रदर्शन भी किया जाएगा। इस फैशन शो में भारत के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक वस्त्र, आभूषण और लोक कलाओं की झलक देखने को मिलेगी, जिससे भारतीय संस्कृति की भव्यता दर्शकों के सामने उभरकर आएगी।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक गहरा करना है। यह कार्यक्रम दोनों देशों के कलाकारों को एक-दूसरे की संस्कृति को समझने और साझा करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। भारत और रूस के बीच सदियों पुराने मजबूत सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध रहे हैं। इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन न केवल इन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करते हैं, बल्कि दोनों देशों के युवाओं और कलाकारों को एक-दूसरे की परंपराओं से अवगत कराने का कार्य भी करते हैं।
इस आयोजन में कला प्रेमी, छात्र, शोधकर्ता और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में भाग लेंगे। इसके अलावा, भारत और रूस के कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद, सांस्कृतिक विशेषज्ञ और सरकारी प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। यह आयोजन न केवल एक मनोरंजन का मंच होगा, बल्कि भारत और रूस के सांस्कृतिक ताने-बाने को एक नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक अवसर भी साबित होगा।
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