Maharishi Dayanand Saraswati: महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक

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आज समाज डिजिटल, रोहतकः

Maharishi Dayanand Saraswati: भारत के महान समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन, दर्शन तथा योगदान पर प्रकाश डालते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रारंभ हुई। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने ऑनलाइन माध्यम से इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

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महर्षि ने समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ जगाई अलख Maharishi Dayanand Saraswati

इस संगोष्ठी के मुख्यातिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक, स्वराज के प्रणेता तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के सशक्त संवाहक थे। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने समाज में व्याप्त सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अलख जगाया। पूरे जीवन में स्वामी दयानंद ने अंधविश्वास तथा पाखंड के खिलाफ स्वर बुलंद किए, ऐसा राज्यपाल का कहना था।

भारतीय चिंतन में वैज्ञानिक सोच को जागृत किया Maharishi Dayanand Saraswati

आचार्य देवव्रत ने कहा कि स्वभाषा, स्व-संस्कृति के प्रणेता महर्षि दयानदं सरस्वती ने मानवीय मूल्यों को समाज में प्रतिष्ठापित किया। उन्होंने वेदों के ज्ञान को समाज तक ले जाने का कार्य करते हुए, भारतीय चिंतन में वैज्ञानिक सोच को जागृत किया, ऐसा राज्यपाल का कहना था। भारतीय समाज व राष्ट्र के उत्थान के लिए निरंतर कार्य करने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, ऐसा आचार्य देवव्रत का कहना था। उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह तथा आयोजन समिति को महत्त्वपूर्ण विषय पर संगोष्ठी आयोजन के लिए बधाई दी।

भारत की महान ऋषि परंपरा की विभूति थे स्वामी दयानंद Maharishi Dayanand Saraswati

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रो. रूप किशोर ने बीज भाषण दिया। प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि स्वामी दयानंद भारत की महान ऋषि परंपरा की विभूति थे। उन्होंने समाज-राष्ट्र में वैदिक चेतना जागृत की। वेदों की महिमा को प्रकट करते हुए स्वामी दयानंद ने जीवन के हर पहलुओं पर वेदों की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद ने भारतीय ज्ञान परंपरा को अपने प्रयासों से सुदृढ़ किया।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में स्वामी दयानंद को महान समाज सुधारक, स्वदेशी मूल्यों का संवाहक, तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को नई ऊर्जा प्रदान करने वाला युग पुरूष बताया। कुलपति ने कहा कि स्वामी दयानंद ने वैदिक ज्ञान के सत्य और महत्त्व को उद्घाटित किया। कुलपति ने कहा कि स्वामी दयानंद का दर्शन और शिक्षा हमें अंधकार से उजाले की ओर तथा अविद्या से विद्या की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षा को जन-मानस तक ले जाने का निरंतर प्रयास महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कर रहा है।

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में एमडीयू के महर्षि दयानंद सरस्वती शोध पीठ के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश आर्य ने स्वागत भाषण दिया। प्रो. रवि प्रकाश ने इस संगोष्ठी की विषय वस्तु तथा महर्षि दयानंद के महती योगदान पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र में संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग की अध्यक्षा डा. सुनीता सैनी ने आभार ज्ञापित किया। मंच संचालन सहायक प्रोफेसर डा. रवि प्रभात ने किया।

प्राध्यापकगण, गैर शिक्षक कर्मी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे Maharishi Dayanand Saraswati

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में, जिसका आयोजन ब्लेंडैड (ऑफ लाइन तथा ऑनलाइन) माध्यम से किया गया। देश तथा विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों, वैदिक संगठनों के प्रतिनिधि इस संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं।
आज टैगोर सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. शरणजीत कौर, रजिस्ट्रार प्रो. गुलशन लाल तनेजा, कुलपति के सलाहकार प्रो. ए.के. राजन, डीन स्टूडेंट्स वेल्फेयर प्रो. राजकुमार, निदेशक वैदिक अध्ययन संस्थान प्रो. सुरेन्द्र कुमार, संस्कृत विभाग के प्राध्यापकगण, विवि के शैक्षणिक विभागों के अध्यक्ष तथा प्राध्यापकगण, गैर शिक्षक कर्मी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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