Maharashtra News : महाराष्ट्र में दबाव की राजनीति, ठाकरे सीएम पद और ज्यादा सीट की कोशिश में

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Maharashtra News : महाराष्ट्र में दबाव की राजनीति, ठाकरे सीएम पद और ज्यादा सीट की कोशिश में
Maharashtra News : महाराष्ट्र में दबाव की राजनीति, ठाकरे सीएम पद और ज्यादा सीट की कोशिश में

Maharashtra News | अजीत मेंदोला, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति अब धीरे धीरे बदलाव की तरफ बढ़ती दिख रही है। इस बदलाव का असर महाविकास आगाड़ी और राजग दोनों में दिखाई दे रहा है। महा विकास आगाड़ी के प्रमुख घटक दल उद्धव ठाकरे ने सीधे दबाव की राजनीति खेलनी शुरू कर दी है। उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी पंवार को साफ कर दिया है कि वह जितनी सीटों पर 2019 में चुनाव लड़े थे उतने पर ही वह फिर चुनाव लड़ेंगे।

ऐसा नहीं हुआ तो फिर वह सभी 288 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। ठाकरे की शिवसेना ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है। ठाकरे दो तीन बार पहले भी अपने सहयोगियों को हिदायत दे चुके हैं। दरअसल लोकसभा चुनावों के परिणामों से ठाकरे की शिवसेना परेशान हैं। क्योंकि उनकी उम्मीद से कम सीट आई। ठाकरे की यूबीटी ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था,लेकिन 9 पर ही उसे जीत मिली।सबसे ज्यादा फायदे में कांग्रेस रही ।

उसने 17 पर चुनाव लड़ा और 13 पर जीत हासिल की। एनसीपी पंवार 9 पर लड़ी और 7 पर जीती।यहीं पेंच शुरू हुआ।कांग्रेस ज्यादा सीट जीतने के बाद बड़े भाई के रूप में दिखना चाहती। सीट शेयरिंग को लेकर दो तीन दौर की बैठक हो चुकी हैं। कांग्रेस का अपना दावा है कि वह 2019 में 155 पर लड़ी थी इसलिए इस बार भी वह सबसे ज्यादा 125 से 130 सीट पर लड़ना चाहेगी। इस तरह 288 में से बची हुई सीटों को पंवार और ठाकरे की पार्टी में बांटा जाएगा।एक तरह से 85 और 70 का हिसाब बन रहा है।ठाकरे इसके लिए कतई तैयार नहीं है।

ठाकरे की पार्टी ने तय किया कि 2019 के विधानसभा चुनाव में 124 सीट पर लड़े थे,उतनी ही सीट उन्हें चाहिए। मतलब कांग्रेस को दूसरे नंबर पर आना होगा। कांग्रेस इसके लिए आसानी से तैयार होगी लगता नहीं है। सूत्रों की माने तो तीनों पार्टी बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का फार्मूला भी सामने आया है। एक तरह से हर पार्टी 90 से 92 पर लड़े।लेकिन ठाकरे की शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं है।

झगड़ा केवल सीटों का ही नहीं बल्कि चेहरा कौन होगा की भी है। शरद पंवार दो बार बोल चुके हैं कि एक बार वह भी फिर से सीएम बनना चाहते हैं। ठाकरे की पार्टी की चिन्ता यह है कि चुनाव बाद एनसीपी और कांग्रेस एक हो कर शरद पंवार को सीएम बनवा दें तो फिर क्या होगा। पंवार राजग में गए अपने भतीजे अजीत पंवार से दो बार बैठके कर चुके हैं। जानकारों की माने तो पंवार उन्हें वापस अपने साथ ला सकते हैं।

अजीत पंवार वापस आते हैं तो एनसीपी ताकतवर हो जाएगी। ठाकरे दबाव की राजनीति इसलिए कर रहे हैं जिससे कि चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए।कांग्रेस और पंवार की एनसीपी इस मूड में अभी दिखती नहीं है। लोकसभा चुनाव परिणामों ने तीनों पार्टियों के हौसले बुलंद किए हुए हैं, कोन झुकेगा यह देखना होगा। ऐसे महाराष्ट्र की राजनीति आने वाले दिनों में दिलचस्प होने वाली है।

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