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Maharashtra government needs new ‘action of plan’: महाराष्ट्र सरकार को नए ‘एक्शन आॅफ प्लान’ की जरुरत

वैसे तो पूरे देश में कोरोना को लेकर स्थिति नियंत्रण में नही आ रही लेकिन सभी राज्यों की अपेक्षा कोरोना महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। राज्य में अब संक्रमितों का आंकडा अठारह हजार के पार जा चुका है जिससे ठाकरे सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए। वहां से इतनी विचलित करने वाली खबरें आ रही है जिससे मानव की महत्वत्ता धूमिल होती नजर आ रही है। पहला मामला तो यह है कि मुंबई के सायन अस्पताल में कोरोना से मौत होने वाले शवों के बीच मरीजों का इलाज चल रहा है जिससे वहां इलाज करा रहे लोग बुरी तरह डर रहे हैं और साथ ही मरीजों का मन भी कमजोर हो रहा है। इस मामले पर बीजेपी नेता नितेश राणे ने घटना का विडियो ट्वीट किया है जिसमें काले प्लास्टिक के कवर में शव दिख रहे हैं और वहीं मरीजों का उपचार किया जा रहा है। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो बीएमसी मेयर ने सफाई देते हुए कहा कि ह्यकोरोना से मरने वाले के रिश्तेदार उसकी बॉडी जल्दी से लेने नही आते। शवगृह में पहले से क्षमता से अधिक शव रखे हैं।
दूसरा, तेजी बढ़ रहे संक्रमण पर महाराष्ट्र की जेलों में कैदियों और स्टॉफ के लिए कोई सफल नीति नही बनाई जिसका दुष्परिणाम सामने यह आया है कि मुंबई के आॅर्थर रोड जेल में बाहत्तर कैदी और सात जेल कर्मचारी कोरोना संक्रमिक पाए गए है। इसके अलावा एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी मुंबई के धारावी में है जहां कोरोना मरीजों का आंकड़ा साढे सात सौ तक पहुंच गया। यदि यहां की स्थिति पर गौर करें तो यह बेहद तंग जगह है जहां सोशल दूरी बनाना संभव नही है और सरकार ने यहां के लिए भी किसी भी प्रकार की ठोस नीति नही बनाई। धारावी मे रह रहे लोगों को संचालन प्रक्रिया ओर रहन-सहन को देखकर यह बिल्कुल भी नही कहा जा सकता कि यह कोरोना के प्रति जागरुक हों कोई या उससे किसी भी प्रकार को डर हो। बदहाली और गंदगी हमेशा की तरह दिख रही है। स्थिति देखकर लग रहा है कि हाशिये पर जिंदगी बनी हुई है। ऐसी घटनाओं को लेकर विपक्ष के अलावा ठाकरे सरकार के मंत्री ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिया। कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि लॉकडाउन के विषय में प्रशासन, सरकार के विपरित आदेशों के अनुसार चल रहा है जिससे विरोधाभाष पैदा होने के कारण पूरे राज्य में अफरातफरी की स्थिति बनी हुई है। और यह इस वजह से हो रहा है चूंकि आपदा प्रबंधन कानून जब से लागू हुआ तब से ज्यादा सत्ता मंत्रियों के पास न रहकर प्रशासनिक अधिकारियों के पास चली गई जिससे वह अपनी मनमानी से काम कर रहे हैं। राज्य की सरकार चुनौतियों से लड़ने में इतनी विफल नजर आएगी कि इस बात की किसी ने कल्पना भी नही की थी। लगातार बढ़ रहा मामलों से पूरे देश परेशान है। दिल्ली के अलावा भी अन्य कुछ और भी राज्यों में स्थिति ठीक नही हैं लेकिन देश में जनसंख्या के आधार पर महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। यहां करीब बारह करोड लोग रहते हैं जिसमें सबसे ज्यादा मुंबई में करीब दो करोड़ की जनसंख्या है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई देश की वित्तिय राजधानी के रुप में भी जानी जाती है। फिल्म इंडस्ट्री यहां से संचालित होने के कारण यह रोज नए लोगों का बसना जारी रहता है इस वजह से यह शहर चौबीस घंटे चलता है और अकेले इस ही शहर में कोरोना के दस हजार से ज्यादा मामलें आ चुके हैं। सभी बॉलीवुड कलाकार का मुख्य गढ़ है मुंबई और इस शहर की व्यस्तता की कहानी देश में ही नही पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन राज्य में कोरोना की रफ्तार जिस तरह बढ़ रही है उससे तो हर किसी के पास समय के अलावा कुछ नही बचेगा। हमारे देश में फिल्म और टीवी दुनिया से बडेÞ स्तर पर व्यापार चलता है। वैसे तो हर छोडे बडे सेक्टर की अपनी गंभीरता होती है लेकिन कृषि व रिएल स्टेट की तरह सिनेमा जगत भी अपना अहम स्थान रखता है। बहराहल, इस संकट से निकलने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पक्ष-विपक्ष के साथ मिलकर ऐसी रणनीति बनानी चाहिए जिससे राज्य में आकड़ों में रुकावट व गिरावट आनी शुरू हो जाए। बेहद भीड़-भाड़ वाले मुंबई शहर के लिए एक विशेष नीति के तहत काम करना होगा चूंकि कोरोना से बचाव के लिए सबसे बडा खेल व दांव पेच सोशल दूरी का माना गया है। धारावी जैसी हर झोपडपट्टी में रहने वालों लोगों के लिए कुछ दिनों के लिए शैल्टर होम या अन्य कोई और व्यवस्था बनाकर सभी जरुरी दिशा-निदेर्शों का पालन करवाया जाए जिससे खतरा न बढे। महाराष्ट्र में लगातार बढ़ते आंकडें से पूरे देश में चिंता बनी हुई है और राज्य सरकार बिना संशोधन किए समय बीतने के दम पर ही बैठी हुई दिख रही है। लेकिन अब ऐसे काम नही चलेगा। हालांकि बीते बृहस्पतिवार को केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है जिसमें वह महाराष्ट्र व दिल्ली समते कुछ राज्यों में नई व आक्रामक नीति के तहत काम करेंगे। अब सरकारों मिलकर काम करना पडेÞगा जिससे मानव जीवन की अप्राकृकित हानि को बचाया जा सके।

योगेश कुमार सोनी
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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