Maharashtra Elections: ठाकरे के दिल्ली दौरे से बनी नहीं बात, कांग्रेस चेहरा तय करने की जल्दी में नहीं

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Maharashtra Elections ठाकरे के दिल्ली दौरे से बनी नहीं बात, कांग्रेस चेहरा तय करने की जल्दी में नहीं
Maharashtra Elections : ठाकरे के दिल्ली दौरे से बनी नहीं बात, कांग्रेस चेहरा तय करने की जल्दी में नहीं

Maharashtra Assembly Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: बाला साहेब ठाकरे वाली शिवसेना के प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे से लगता है बात अभी बनी नहीं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस के सर्वोच्च सभी नेताओं से मुलाकात की, लेकिन चुनाव में उन्हें चेहरा बनाने को लेकर लगता है बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला।इसलिए उन्हें खुद ही कहना पड़ा कि वह मुख्यमंत्री फेस बनने को तैयार हैं। ठाकरे का तीन दिन के दौरे का असल मकसद अपने को सीएम फेस बनवाना और अधिक सीटों पर सहमति बनाने के लिए ही था। उनको दौरे से कितनी सफलता मिली ये तो आने वाले दिनों में पता चलेगा,लेकिन शुरूआती संकेत तो उनके लिए बहुत उत्साह जनक नहीं दिखते हैं।

सब तय करके ही पत्ते खोलेगी कांग्रेस

कांग्रेस उद्धव ठाकरे को अभी किसी प्रकार का ठोस भरोसा देने के जल्दी में नहीं। सब कुछ तय करने के बाद ही कांग्रेस पत्ते खोलेगी।कांग्रेस यूं भी चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने से बचती है। ठाकरे का यही टेंशन है। वह चाहते हैं अभी ही सब कुछ तय हो। ठाकरे की असल लड़ाई मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के साथ साथ अधिक सीटें हासिल करने की भी है।जिससे कि उनको सरकार बनने के बाद आगे कोई परेशानी और दबाव न झेलना पड़े। उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे और प्रवक्ता संजय राउत के साथ कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिले थे।

सीट शेयरिंग के लिए समिति गठित

राहुल ने अपने ‘एक्स’ में कहा भी कि महाराष्ट्र चुनाव पर चर्चा हुई, लेकिन बाकी पत्ते नहीं खोले। कांग्रेस ने सीट शेयरिंग के लिए पहले ही 6 सदस्यीय समिति गठित की हुई है। मतलब उस समिति की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस आगे बढ़ेगी। गौर करने वाली बात यह है कि एक दिन पहले सीएम फेस पर ठाकरे ने कहा था कि बातचीत से तय हो जायेगा अभी तो साथ चुनाव लड़ने की बात है।24 घंटे बाद ही उन्होंने कहा कि वह सीएम फेस बनने को तैयार हैं।आप महा विकास अगाड़ी के नेताओं से पूछिए कि वह तैयार हैं या नहीं।यह बात उन्होंने कांग्रेस के नेताओं से मिलने के बाद कही।जबकि एक दिन पहले उनकी टोन कुछ और थी।

जानें क्या है ठाकरे का टेंशन

दरअसल लोकसभा चुनाव परिणामों में महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे को उम्मीद से कम सीट मिली, जबकि सबसे ज्यादा फायदे में कांग्रेस रही, फिर शरद पवार की एनसीपी। उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और पूरी कांग्रेस की यही कोशिश है कि लोकसभा में जीती सीटों और पिछली बार जिन सीटों पर चुनाव लड़े कुल मिलाकर 155 सीट पर चुनाव लड़ा जाए। पवार की पार्टी सबसे कम सीटों पर लड़ने को तैयार है। 288 में से 155 कांग्रेस ले गई तो कुल बची 133 सीटे। उनमें 50 से 60 सीट पर पवार की पार्टी दावा करेगी। ऐसे में 80 के आस पास सीटें ठाकरे के हिस्से में आती दिखती हैं। यही ठाकरे का टेंशन है। ठाकरे की पार्टी 120 से कम पर तैयार होगी लगता नहीं है।

ठाकरे,पंवार और कांग्रेस तीनों को एक दूसरे की जरूरत

ठाकरे,पंवार और कांग्रेस तीनों को एक दूसरे की जरूरत है, लेकिन झगड़ा कुर्सी का है। हालाकि ठाकरे अपनी पार्टी कार्यकतार्ओं से कई बार कह चुके हैं सभी 288 सीटों पर तैयारी रखें। शरद पवार भी दो तीन बार इच्छा जता चुके हैं कि वह भी सीएम बनना चाहते हैं। कांग्रेस को पवार सूट भी करते हैं। ठाकरे की परेशानी यह भी है कि अभी सब कुछ तय नहीं किया तो चुनाव बाद कुर्सी मिलने की गारंटी नहीं है। जैसे की रिपोर्ट आ रही हैं कि महा विकास अगाड़ी मिल कर चुनाव लड़ा तो 200 से ज्यादा सीटें जीत सकता है। जो ज्यादा सीट पर लड़ेगा वह ज्यादा सीट जीतेगा।

कांग्रेस और पवार मिल कर चुनाव लड़े तो…

कांग्रेस और पवार मिल कर 200 से ज्यादा पर चुनाव लड़े और बहुमत का जादुई आंकड़ा 145 को आसानी से पार कर लिया तो फिर ठाकरे का सीएम बनने का सपना अधुरा रह सकता है, इसलिए ठाकरे ने दिल्ली दौरे पर कांग्रेस की नब्ज तो टटोली साथ ही इंडिया गठबंधन के बाकी घटक दलों से भी चर्चा की। सपा नेताओं से मिले। जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के परिवार से मिलने उनके घर गए।

बीजेपी की सारी उम्मीदें

सुनीता केजरीवाल और अरविंद केजरीवाल के माता पिता से मिले। आप और सपा हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। दोनों जगह आप का कांग्रेस से गठबंधन नहीं। है। ऐसे में किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि महाराष्ट्र की राजनीति में चुनाव पूर्व कुछ भी घट सकता है। इसके भी आसार हैं कि ठाकरे दूसरे घटक दलों के साथ मिल सभी सीटों पर चुनाव लड़ें और चुनाव बाद कांग्रेस और पवार से मोल तोल करें। बीजेपी की सारी उम्मीदें इसी पर टिकी हैं।