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Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old : हरियाणा प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ लगे कालाआंब से करीब 6 किलोमीटर दूर पर स्थित गांव त्रिलोकपुर में माता बाला सुन्दरी का आकर्षण मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लेता है। इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, मगर साल में दो बार नवरात्रों में त्रिलोकपुर के महामाया बाला सुंदरी मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old
चैत्र नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल से शुरू Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old
इस साल चैत्र नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल से शुरू होकर और 11 अप्रैल तक चलेगा। प्रथम नवरात्र से ही मेले में भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है जो कि नवरात्रों के दौरान जारी रहता है। अति शांत एवं सुरम्य प्राकृतिक परिवेश में स्थित इस मंदिर का इतिहास 428 साल पुराना है। त्रिपुरबाला, बालासुंदरी व त्रिभवानी तीनों देवियों के यहां विराजमान होने के कारण इस मंदिर का नाम बालासुंदरी पड़। माता बालासुंदरी के भवन से दूर पूर्व दिशा में त्रिपुरा बाला ललिता देवी तथा उत्तर पश्चिम दिशा में त्रिभवानी का मंदिर स्थित है। माँ के दर्शन करने से पूर्व भक्त ध्यानू के दर्शन अवश्य करते है। इसके अलावा यहां देवी ताल तथा पीपल व मौलसिरी के प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
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माता साक्षात रूप में हुई प्रकट Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old
मां दुर्गा का बाला सुंदरी रूप सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां कैसे पहुंचा, इसको लेकर भक्तों का मानना है कि तीन सौ वर्ष पूर्व यहां एक व्यापारी रहता था। रामदास नाम का यह व्यापारी एक बार मुजफ्फरनगर (यूपी) से यहां नमक लेकर आया था। उसने अत्यधिक नमक बेचा लेकिन नमक कम नहीं हो रहा था। यह देखकर वह घबरा गया। रात्रि को स्वप्न में मां भगवती ने उस व्यापारी को बाल रूप में दर्शन दिए और कहा कि मैं पिंडी रूप में तुम्हारी नमक की बोरी में आ गई थी और अब मेरा निवास तुम्हारे आंगन में स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में है। लोक कल्याण हेतु तुम यहां एक मंदिर का निर्माण करो। सुबह होने पर व्यापारी ने पीपल का वृक्ष देखा। तभी बिजली की चमक व बादलों की गड़गड़ाहट के साथ पीपल का पेड़ जड़ से फट गया तथा माता साक्षात रूप में प्रकट हो गई।
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माता जी ने मंदिर बनवाने की इच्छा प्रकट की Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old
यह घटना विक्रमी संवत 1627 की बताई जाती है। उस समय सिरमौर राजधानी का शासन महाराज प्रदीप प्रकाश के अधीन था। एक रात्रि माता ने उन्हें भी स्वप्न में दर्शन देकर भक्त रामदास वाली कहानी सुनाई तथा मंदिर बनवाने की इच्छा प्रकट की। माता का आदेश पाकर महाराज प्रदीप प्रकाश ने तुरन्त ही मंदिर के निर्माण का आदेश दे दिया। तीन वर्षों में ही मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया गया।
Mahamayi’s Temple Is 428 Years Old : इस मंदिर के लिए कीमती सामान आदि जयपुर से मंगवाया गया। 1630 में बने इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। यह मंदिर मुगलकालीन वास्तुकला का जीता जागता प्रमाण है। भवन के चारों ओर देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। 3 मार्च 1974 को मंदिर की देख-रेख का कार्य हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने हाथों में ले लिया तथा माता बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर बोर्ड का गठन किया गया।
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