- 2013 में इस स्कूल को सिर्फ गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए कर दिया रिजर्व
Aaj Samaj (आज समाज),Mahatma Jyotiba Rao Institute Panipat (MJR), पानीपत : पानीपत मात्र एक औद्योगिक नगरी के नाम से ही अपनी पहचान नहीं रखता, अपितु अध्यात्म और समाज सेवा का जज्बा भी यहां के लोगों में कूट कूट कर भरा है और कई परिवारों में तो ये जज्बा पीढ़ी दर पीढ़ी आज तक कायम है। यहां के महानुभावों, समाजसेवियों ने कई ऐसे संस्थान स्थापित किए जो गरीब एवं असहाय परिवारों के लिए अँधेरे में चिराग का काम कर रहे हैं। आज जिक्र करते हैं महात्मा ज्योतिबा राव संस्थान का। एडवोकेट फतेह सिंह सैनी ने 1996 में विचारक और समाज सुधारक ज्योतिबा फुले से प्रेरित होकर इस संस्था की नींव रखी थी। झुग्गी- झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए शुरू की गई इस संस्था की जड़ें आज भी जस की तस बनी हुई है। वर्तमान में इस संस्था में 50 बच्चे प्राइमरी कक्षाएं ले रहे हैं।
विरासत में मिली संपत्ति को सहेजने का कर रहे हैं काम
फतेह सिंह सैनी के बेटे कंवर रविंद्र सैनी जो फिलहाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं जिला अध्यक्ष ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज (रजि) के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि वह विरासत में मिली संपत्ति को सहेजने का काम करते हैं। पिता वकालत करते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी किसी भी व्यक्ति से फीस नहीं थी। वह वकालत में हो रहे खर्चे को भी अपनी जेब से वहन करते थे। उनका सोचना था कि जो व्यक्ति पहले से ही परेशान है। कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसा हुआ है, उससे क्या फीस लेना।
पिता के निधन के बाद बेटे ने संभाली जिम्मेदारी
फतेह सैनी का 2016 में निधन हो गया था। तभी से बेटे ने संस्था की जिम्मेदारी संभाल ली। 2013 में स्कूल के बंद होने के बाद उन्होंने इस स्कूल को सिर्फ गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए रिजर्व कर दिया है। यहां तीन शिक्षक दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे की शिफ्ट में बच्चों को पढ़ाते हैं। कई वॉलिंटियर्स भी जुड़े हुए हैं। जो योगा आदि की क्लास लेते हैं।
संस्थान के बच्चे राष्ट्रपति से करेंगे भेंट
उन्होंने बताया कि सिक्कम से ऐसे ही संस्थान के बच्चों को ग्रुप अगले माह दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने आ रहा है। उन बच्चों के साथ ही वह भी अपने संस्थान के बच्चों को राष्ट्रपति से मिलवाने के लिए दिल्ली लेकर जाएंगे। तारीख तय नहीं की गई है।
स्कूल से शुरू किया था सफर
कंवर रविंद्र सैनी ने बताया कि पिता अन्य सामाजिक व धार्मिक संगठनों से जुड़े थे। पानीपत के सनातन धर्म सेवा संगठन ने उन्हें दानवीर कर्ण की उपाधि से नवाजा था। पिता ने सेक्टर- 25 बाईपास रोड स्थित थाना चांदनीबाग थाने के बराबर से एमजेआर पब्लिक स्कूल खोला था। जो सीबीएसई से मान्यता प्राप्त था। इस स्कूल के एक हिस्से में ही उन्होंने सेक्टर- 25 पार्ट टू, सेक्टर- 24, ऊझा कॉलोनी के पास झोपड़ियों में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। तभी उन्होंने इस संस्था की स्थापना भी की थी।