Prayagraj Mahakumbh 2025, डॉ दिलीप अग्निहोत्री, आज समाज डेस्क: प्रयागराज महाकुंभ में सदियों के बाद दुर्लभ संयोग बना है। लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद यह शुभ मुहुर्त आया है। यह भी संयोग है कि इस समय उत्तर प्रदेश में एक संन्यासी का शासन है। जो संन्यास और समाज सेवा की विशिष्ट भारतीय परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं। अर्धकुंभ में भी योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रबंधन की मिसाल कायम की थी। पूरी दुनिया में उनके प्रबंध कौशल की प्रशंसा हुई थी। अनेक वैश्विक कीर्तिमान स्थापित हुए थे।
श्रद्धालुओं की संख्या अर्धकुंभ से दोगुनी होने की संभावना
इस बार महाकुंभ है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में अर्धकुंभ के मुकाबले करीब दोगुनी होने की संभावना है। इसी के दृष्टिगत योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ पिछले कुछ समय से हर हफ्ते प्रयागराज पहुंच कर व्यवस्था का जायजा ले रहे है। वह संन्यासियों और अखाड़ों के लोगों से भी भेंट करते हैं। साथ ही सीएम श्रमिकों और सफाई कर्मियों से भी संवाद करते है। इनके बच्चों की पढ़ाई भी बाधित ना हो, इसकी भी योगी चिंता करते हैं। इसके दृष्टिगत अधिकारियों को निर्देशित करते हैं।
पहले हुए कुम्भ ने कई कीर्तिमानों को पीछे छोड़ दिया था
छह वर्ष पहले हुए कुम्भ ने सफलता के पिछले सभी कीर्तिमानों को पीछे छोड़ दिया था। इस बार उस समय बने कीर्तिमानों की पीछे छोड़ने की संकल्प दिखाई दे रहा है। अन्यथा उसके पहले कुम्भ को गंदगी, अव्यवस्था और भगदड़ के अप्रिय प्रसंग भी दिखाई देते थे। प्रयागराज में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह महाकुंभ आस्था और आधुनिकता के साथ दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन से जुड़ने जा रहा है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी इस महाआयोजन की साक्षी बनेगी। चालीस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु यहां आएंगे।
बना था कुम्भ स्वच्छता का प्रतिमान
छह वर्ष पूर्व कुम्भ स्वच्छता का प्रतिमान बना था। यह सनातन गर्व के प्रतीक है। महाकुम्भ सांस्कृतिक एकता महायज्ञ है। जो विश्व को एक घोंसले में लाकर स्थापित कर देता है। यजुर्वेद में कहा गया है ‘यत्रविश्वं भवत्येक नीडम्’ अर्थात जहाँ सम्पूर्ण विश्व एक घोंसले में आ जाता है। महाकुम्भ उसी परिकल्पना का उत्कृष्ट उदाहरण है। आस्था कैसे अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाती है, प्रयागराज इसका उदाहरण बनने जा रहा है। महाकुंभ को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाने के सभी संभव प्रयास किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश दुनिया के शानदार डेस्टिनेशन के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
छह वर्ष पहले भी ऐसे प्रयास सफल हुए थे। तब यूनेस्को ने प्रयागराज कुम्भ को मानवता की अमूर्त विरासत की मान्यता प्रदान की थी। इस बार भी विश्व मानता के कल्याण का मार्ग यहां से प्रशस्त होगा। आस्था और आधुनिकता का समागम होगा। यह प्रयागराज के साथ साथ उत्तर प्रदेश और पूरे देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगा। अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपए का ग्रोथ होने का अनुमान है।
अखाड़ों में सीएम योगी का जोरदार स्वागत
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होने के साथ ही सन्यासी हैं। महाकुंभ स्थल पर स्थापित अखाड़ों में वह सन्यासी की भूमिका में दिखाई दिए, जिसमें व्यवस्था के साथ साथ अध्यात्म का भी संवाद हुआ। वह हर तरह के अखाड़ों के शिविर में पहुंचे। उन्होंने वहां की धर्म ध्वजा को प्रणाम किया। आध्यात्मिक चर्चा के बाद यहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। बटुक संन्यासियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ उनका स्वागत किया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने उनका तिलक लगा कर अभिनंदन किया।
संतों की जरूरतों को पहले पूरा करें अधिकारी : सीएम
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि संतगणों की आवश्यकताओं को शीर्ष वरीयता देते हुए पूरा किया जाए। उन्होंने सेक्टर अठारह में बने दण्ड स्वामियों के दण्डीबाड़ा शिविर का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसके अगले शिविर में स्थित अखिल भारतीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा शिविर का भी भ्रमण किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों की कैबिनेट संगम स्नान करने की तैयारी कर रही है। हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फॉउंडेशन और आईआईटी जैसी संस्थाएं महाकुम्भ के विविध आयामों पर शोध अध्ययन और डॉक्यूमेंटेशन करने जा रही हैं।
महाकुंभ पोटेंशियल के प्रदर्शन और ब्रांडिंग का अवसर
महाकुंभ का यह अवसर उत्तर प्रदेश के पोटेंशियल के प्रदर्शन और ब्रांडिंग का अवसर है। क्राउड मैनेजमेंट की कार्ययोजना तैयार करके उसकी व्यवहारिकता का परीक्षण किया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने ‘डिजिटल एक्सपीरिएंस सेंटर’ का शुभारंभ किया।यहां विश्व की प्राचीनतम संस्कृति का साक्षात्कार कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को डिजिटल महाकुम्भ एक्सपीरिएंस सेंटर पर अवश्य आना चाहिए। इस सेंटर के माध्यम से भावी पीढ़ी को प्राचीनतम भारत की झलक देखने को मिलेगी। वो अपनी जड़ों को अनुभव कर सकेंगे। सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था और प्रगाढ़ होगी।
डिजिटल रूप से दिखाई जाएंगी महाकुंभ की पौराणिक कथाएं
डिजिटल एक्सपीरिएंस सेंटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से महाकुम्भ की पौराणिक कथाओं, समुद्र मंथन, प्रयाग महात्म और त्रिवेणी संगम को डिजिटल रूप से दिखाएगा। पिछले महीने प्रधानमंत्री जी ने पचपन सौ करोड़ की स्थायी परियोजनाओं का लोकार्पण किया था। पांच कॉरीडोर, अक्षयवट का भव्य कॉरिडोर,भारद्वाज आश्रम कॉरीडोर, हनुमान मंदिर कॉरीडोर,प्रभु श्री राम और उनके सखा निषादराज की मिलन स्थली श्रृंगवेरपुर कॉरिडोर और सरस्वती कूप कॉरीडोर का भी लोकार्पण किया गया था। ब्रह्मा जी का यज्ञस्थल दशाश्वमेध घाट व मंदिर, नागवासुकि मंदिर या द्वादशमाधव के मंदिरों का जीर्णोद्धार भी आकर्षक है। इस बार बारह किलोमीटर पक्के घाट निर्मित किए गए है। इस बार छह प्रमुख स्नान में तीन परंपरागत रूप से शाही स्नान थे। जिन्हें पूज्य संतों ने अमृत स्नान के रूप में मान्यता दी है।
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