- 1970 में बीएन सरकार को माना गुरु, जादू सीखकर 1974 में राजस्थान के कर्णपुर में दिखाया गया पहला शो
- आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रदेशभर में जादू के शो दिखाने की अनुमति पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जताया आभार
प्रवीण वालिया, करनाल:
एमकॉम पास की तो घरवालों को यह बताने में भी डर लगता था कि मुझे जादूगरी सीखनी है। पिता फ्लोर मिल के अपने पुस्तैनी व्यापार में बिजनेसमैन बनाना चाहते थे लेकिन जुनून जादूगरी का था। तभी घर से छुप-छुपकर जादूगरी सीखी और बन गए मशहूर जादूगर सम्राट शंकर। जी हां, कुछ ऐसी ही कहानी है जादूगर सम्राट शंकर की। हरियाणा के ऐलनाबाद कस्बे में पैदा हुए और देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी ख्याति फैलाई है।
1970 में बीएन सरकार को माना गुरु
करनाल में आजादी के अमृतमहोत्सव के अंतर्गत चार दिन शो करने पहुंचे जादूगर सम्राट शंकर का कहना है कि उन्हें 12 साल की उम्र में जादू के प्रति आकर्षण पैदा हो गया था। जब मास्टर डिग्री पूरी की तो मन बना लिया था कि बनना तो जादूगर ही है लेकिन घरवालों को बिना बताए, 1970 में वे जादूगर बीएन सरकार के पास पहुंच गए। उन्हें अपना गुरु बनाया और उनसे जादू की ट्रिक्स सीखी। धीरे-धीरे जब वे इसमें पारंगत हुए तो घरवालों को बताया। इसके बाद राजस्थान के कर्णपुर में साल 1974 में पहला जादू शो आयोजित किया। बस वहां से शुरू हुआ कारवां फिर आज तक नहीं थमा। 48 साल से निरंतर जादू के शो कर रहे हैं।
जादूगर सम्राट शंकर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जादू का शो आयोजित किया जा रहा है। यह शो सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अंतर्गत संपन्न हो रहे हैं। उन्होंने करनाल के उपायुक्त अनीश यादव का भी धन्यवाद किया। सम्राट शंकर ने कहा कि इन जादू के शो की शुरूआत हरियाणा के मुख्यमंत्री के विधानसभा करनाल से करने जा रहे हैं।
बिजनेसमैन बनने की बजाए जादू की कला को चुना: जादूगर सम्राट शंकर
जादूगर सम्राट शंकर ने कहा कि आज मुझे उस फैसले पर गर्व है कि मैंने बिजनेसमैन बनने की बजाए जादू की कला को चुना। आज इसी जादू की बदौलत हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश और विदेशों में भी उनकी अलग पहचान है। इस कला की वजह से लोगों से बहुत प्यार मिला है। उनका कहना है कि यह कला जिंदा रहे, इसके लिए वह पूरा प्रयास कर रहे हैं।
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