
Mafia Ateek Ahmed: माफिया अतीक अहमद ने 1979 में पहली हत्या की थी। उसके बाद वह एक के बाद एक अपराध को अंजाम देता जा रहा। उसका इतना खौफ कि उसके सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता था। 1980 के दशक में चांद बाबा ने आतंक फैला रखा था। अतीक ने जब अपना आतंक फैलाना शुरू किया तो चांद बाबा से उसका टकराव हो हो गया। दोनों गुंडों के गिरोह के बीच बम, पत्थराव व चाकू आदि चलने की वारदातें आम हो गई।
- तीन बदमाशों ने की अतीक और अशरफ की हत्या
- पुलिस का घेरा तोड़कर सीने व कनपटी में मारी गोली
गौरतलब है कि अतीक और उसके भाई अशरफ की कल रात तीन बदमाशों ने पुलिस के घेरे को तोड़कर उस समय हत्या कर दी जब उसे प्रयागराज के काल्विन अस्पताल मेडिकल जांच के लिए ले जाया रहा था। मीडियाकर्मी बनकर आए हमलावरों ने एक को सीने में व दूसरे को सिर पर गोली मारी
1989 में पहली बार एमएलए बना
अतीक 1989 में पहली बार विधायक बना और इससे उसका हौसला बढ़ गया। उसने आखिर चांद बाबा को भी रोशन बाग इलाके में मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद अतीक की खुलकर गुंडई शुरू हो गई। वह एक बाद एक हत्या को अंजाम देता रहा। इसके अलावा धमकी, रंगदारी, जमीनों पर जबरन कब्जे व उगाही उसका रोज का काम हो गया था। जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठाई, उसे मौत के घाट उतार किदया गया। अतीक ने झलवा की सूरजजकली के पति की भी 12 बीघा जमीन हड़पने के चक्कर में हत्या कर दी थी।
2005 में राजू पाल की हत्या व गवाह उमेश का अपहरण किया
2005 में राजू पाल हत्याकांड और गवाह उमेश पाल का अपहरण कर अतीक और अशरफ ने यूपी पुलिस को खुलकर चुनौती दी। दोनों पकड़े और कुछ समय बाद छूटकर आ गए। राजू पाल हत्याकांड और उमेश पाल अपहरण कांड का मामला यूं ही चलता रहा। उमेश पाल मुकदमे की पैरवी करते रहे। इसी बीच 24 फरवरी को उमेश पाल और दो गनर को सुलेम सराय में जीटी रोड पर गोलियों से छलनी कर दिया गया।
उमेश पाल हत्या में अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी
उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस शूटरों की तलाश में जुटी थी। इस बीच प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने इस मामले में अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुना दी। अतीक गुजरात की साबरमती जेल मेें बंद था और अशरफ यूपी की बरेली जेल में बंद था। दोनों को सुनवाई के लिए प्रयागराज की एमपी/एमएलए कोर्ट लाया गया था। अदालत द्वारा सजा के बाद अतीक और अशरफ को वापस जेल भेज दिया गया था।
पुलिस के आवदेन पर दोनों भाइयों को वापस प्रयागराज लाया गया
पुलिस ने इसके बाद उमेश पाल मामले में ही अतीक व अशरफ को वापस लाने की अर्जी दी थी। तभी दोनों खुद की हत्या की आशंका जताई थी। बहरहाल, दोनों को साबरमती और बरेली जेल से प्रयागराज स्थित नैनी जेल लाया गया। गुरुवार दोपहर अतीक और अशरफ को जब सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया था तभी झांसी में अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को ढेर कर दिया गया। बेटे के मारे जाने के बाद अतीक और अशरफ गम में डूबे थे। कल असद को दफन किया गया तब भी अतीक पुलिस कस्टडी में रो रहा था। फिर कल रात अतीक के माफियाराज का शूटरों ने अंत कर दिया।
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