मनोज वर्मा, कैथल :
मदनी मदरसा कैथल के संचालक मौलाना मोहम्मद सईदुर रहमान ने कहा कि आज के समय के अनुसार मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ औपचारिक शिक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। मौलाना ने कहा कि शिक्षा वह आधारशिला है, जिसके बूते किसी भी समुदाय का विकास होता है। इस्लाम, शिक्षा प्राप्ति व कौशल विकास को बढ़ावा देता है। एक हदीस के अनुसार अगर ज्ञान प्राप्त करने के लिए दूसरे देश भी जाना पड़े तो,जाना चाहिए। मुस्लिम समाज में पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव है। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों का मानना है कि, सिर्फ धार्मिक ज्ञान प्राप्त करना ही आवश्यक है और दूसरी तरफ कुछ का मानना है कि सिर्फ सांसारिक ज्ञान ही जरूरी है। आज के इस आधुनिक समय में धर्म विज्ञान के साथ-साथ, औपचारिक ज्ञान भी बहुत महत्वपूर्ण है।
धर्म की मौलिक शिक्षा के साथ-साथ सांसारिक आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त करे
महाराष्ट्र के सैयद अली जो जामिया तजवीदुल कुरान और नूर मेहर उर्दू स्कूल चला रहे हैं अपने मदरसों में आधुनिक विषयों को मदरसे के मूल्य मौलिक पाठ्यक्रम के साथ जोड़ा है। इसका परिणाम यह निकला कि वहां से शिक्षा प्राप्त कर रहे हाफिज बच्चों को मुख्यधारा में नौकरियां मिली। जिनमें इंजीनियर, डॉक्टर जैसे पेशे भी शामिल हैं। मौलाना ने कहा कि अगर सैयद अली की सोच को सभी मदरसे एक उचित संतुलन के साथ लागू करें तो मदरसे में पढऩे वाले बच्चों के लिए एक मजबूत प्लेटफार्म तैयार होगा। जहां वे धर्म की मौलिक शिक्षा के साथ-साथ सांसारिक आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं। जिसके कारण उन्हें नोकरी मिलेगी और वित्तीय फायदा व उनके समुदाय का विकास होगा। शक्तिशाली परिवार अपने समुदाय के साथ साथ राष्ट्र का सशक्तिकरण भी कर सकते हैं। इस प्रकार धर्म की शिक्षा के साथ-साथ औपचारिक शिक्षा व्यवस्था करके मदरसों के अस्तित्व को भी बचाया जा सकता है।
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