Ma Vaishno Devi shrine became an example of cleanliness: स्वच्छता की मिसाल बना मां वैष्णों देवी तीर्थ स्थल

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हर सरकार देश में कई अभियान चलाती है। जिसे देश के कुछ लोग या सस्थाएं स्वीकारती है तो कुछ नहीं। लेकिन जब खबर किसी तीर्थ स्थल को स्वच्छ रखने की आए तो दिल खुश हो जाता है। बीते शुक्रवार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सफाई को लेकर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को देश के सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान के लिए पुरस्कार दिया है।
पूरे यात्रा मार्ग और बोर्ड के भवनों में स्वच्छता और वर्षा जल संचयन के अलावा कई अन्य तरीकों से वैष्णो देवी तीर्थ ने स्वर्ण मंदिर और ताज महल के अलावा कई स्थलों को पछाड़ कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। जैसा कि मां वैष्णो के दरबार में प्रतिवर्ष देश-विदेश से करीब सवा करोड़ श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं। श्राइन बोर्ड के करीब 1250 सफाई कर्मचारी दिन-रात लगे रहते हैं। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह कूड़ादान की सुविधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। प्रतिदिन करीब 35 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस तीर्थ स्थल को स्वच्छ बनाने में कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। जैसा कि यहां भवन तक पहुंचने में पैदल के अलावा घुड़सवारी के द्वारा भी जाया जाता है जिससे जगह-जगह घोड़े की लीद से गंदगी व बदबू से लोगों को भारी परेशानी होती थी लेकिन पिछले कुछ समय से रास्ते को साफ करने के लिए 24 घंटे सफाईकर्मी खड़े रहते हैं। साथ ही लीद को एकत्रित करके खाद बनाकर खेतीबाड़ी व पौधों के लिए प्रयोग की जाने लगी। जलरहित मूत्रलाय बनकार कई हजार लीटर पानी को व्यर्थ होने से बचाया जा रहा है। करीब 45 क्रश वेंडिंग मशीन लगाते हुए प्लास्टिक पूरी तरह के प्रतिबंधित की हुई है जिस वजह से यह सब हो पाया है।
पूरे देश में आप चाहे किसी भी तीर्थ स्थल पर जाएं वहां गंदगी तो रहती है साथ में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। शौचालयों की बात करें तो कहीं है तो कई जगह नही हैं और यदि कहीं दिख भी जाए तो वह बेहद गंदे व बदबूदार होते हैं। महिला शौचालय की बात करें तो कहीं नही दिखता जिसके चलते भारी परेशानी होती है। श्राइन बोर्ड से अन्य सफाई बोर्ड व संस्थाओं को इससे प्रेरित होकर अपने आप को सुधार करना चाहिए जिससे तीर्थ स्थल पर आने वालों को परेशानी न हों। इसके अलावा इस लेख माध्यम से एक महत्वपूर्ण बात यह भी कहना चाहते हैं कि तीर्थ स्थलों में दर्शन के लिए लाइन महिला व पुरुष के लिए अलग अलग होनी चाहिए जिससे जो बदतमीजियां होती है उन पर अंकुश लगेगा। साथ ही लाइन को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए सिस्टम अपटेड होना चाहिए।
अक्सर देखा जाता है कि बड़े तीर्थ स्थलों पर घटों लाइन लगी होती है यदि किसी को बीच में शौचलय जाना पड़ जाए तो समझो उसकी आफत आ जाती है क्योंकि वह लाइन से हट गया तो दोबारा लगने का कोई विकल्प नहीं होता और यदि किसी तरीके से चला भी जाए तो उसको परिसर में आस पास कोई शौचलय नहीं मिलता। खासतौर पर महिलाओं के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन जाती है। कई जगह तो इतनी गंदगी होती है कि वहां खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। तमाम ऐसे तीर्थ स्थल हैं जहां भीड़ अनियंत्रित हो गई और कई श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। ऐसी दुर्घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। इसलिए राज्य सरकार व केंद्र सरकार के साथ मंदिर प्रबंधन को इस मंथन करने की जरुरत है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत हुई थी जिसके बाद इस देश में बहुत बदलाव देखने को मिला था।
बहुत ज्यादा नही लेकिन जितने भी लोगों ने इसे अपनाया उससे बदलाव की ब्यार तो आई है। बहुत मुश्किल होता देश की जनता को यह समझाना कि जैसा आप अपने घर को साफ रखते हैं वैसे ही अपने मौहल्ले,राज्य व देश को भी साफ रख सकते हैं क्योंकि यह भी तुम्हारा है। कुछ लोग सिर्फ अपने घर को ही साफ रखने में विश्वास रखते हैं बाकी जगहों से उनका कोई मतलब नहीं होता। हमें ऐसी सोच को बदलना होगा क्योंकि एक-एक से अनेक बनते हुए कारवां बनता है। वैसे तो हर तीर्थ स्थलों पर हमेशा भीड़ रहती है लेकिन पिछले दो दशकों से बच्चों की छुट्टियों के दौरान अब बहुत ज्यादा भीड़ रहने लगी जिस वजह से बच्चे गायब हो जाते हैं। इसलिए तीर्थ स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे जरूर लगे होने चाहिए। वैसे तो प्रबंधन दावा करता है कि कैमरे ठीक है लेकिन घटना होने पर सब गड़बड़ हो जाती है। इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जिन पर अभी काम करने की जरुरत है।
जैसा कि वर्ष 1986 में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन किया था। बोर्ड के अनुसार उस वक्त सालाना करीब 15 लाख श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के दर्शन करते थे। लेकिन समय के साथ जनसंख्या भी बढ़ गई तो श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई जिसके चलते व्यवस्था को दुरुस्त किया गया। बहराहल, श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को देश के सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान के लिए पुरस्कार दिया गया तब से वहां जाने वाले श्रदालुओं में एक खुशी की लहर है। इसके अलावा देश विदेश से तारीफ बटौर इस खबर से हमारे सम्मान में चार चांद लग गए। अब हम चाहते हैं कि ऐसी खबर हर तीर्थ स्थल से आए।

योगेश कुमार सोनी
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)