आप सांसदों का आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों के खिलाफ प्रदर्शन

0
274
AAP MPs Protest Against GST Rates on Essential Commodities
AAP MPs Protest Against GST Rates on Essential Commodities

दिनेश मौदगिल, Ludhiana News:
संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन आज आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा, संजय सिंह, संजीव अरोड़ा और सुशील गुप्ता ने संसद में गांधी प्रतिमा के पास महंगाई और जीएसटी दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सिफारिश करने के लिए समिति का गठन करते हुए पंजाब की अनदेखी करने के लिए सरकार का विरोध किया।

विरोध कर रहे सांसद के हाथों में प्ले कार्ड थे। जिस पर ‘पंजाब दे किसान दा हक इत्थे रख’, ‘एमएसपी दी कमेटी खारिज करो’ और ‘एमएसपी दी गारंटी लै के रहांगे’ के नारे लिखे हुए थे। वे प्रदर्शन के दौरान नारे भी लगा रहे थे। सांसद संजीव अरोड़ा ने कहा कि महंगाई और हाल ही में जीएसटी दरों में बढ़ोतरी ने आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ डाला है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार आम लोगों के हितों की पूरी तरह अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि महंगाई दिन-ब-दिन नई ऊंचाइयों को छू रही है और अगर अभी इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थिति और खराब होगी।

उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत को श्रीलंका जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा।”
अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने और आप के अन्य सांसदों ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह तुरंत महंगाई पर लगाम लगाए और जीएसटी की दरों में हाल की बढ़ोतरी को लोगों और देश के व्यापक हित में वापस ले, अन्यथा देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाएगी। उन्होंने कहा कि यह केंद्र का एक भेदभावपूर्ण कदम है कि उसने फसलों के लिए एमएसपी की सिफारिश करने के लिए समिति का गठन करते हुए पंजाब की अनदेखी की है, जबकि यह एक कठिन तथ्य है कि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है।

किसानों के हितों की अनदेखी न करे सरकार

उन्होंने कहा कि केंद्र पंजाब के किसानों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकता, जिन्होंने केंद्रीय पूल में एक बड़ा हिस्सा दिया है और अतीत में हरित क्रांति लाई है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि केंद्र अपने किए गए वादों को पूरा नहीं कर रहा है जोकि उसने किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के समय में किसानों के साथ किये थे।

उन्होंने कहा कि वास्तव में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार राज्य के किसानों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए मंच नहीं देना चाहती है। उन्होंने कहा कि उनकी और पार्टी के अन्य सांसदों की राय है कि केंद्र का यह तानाशाही रवैया अस्वीकार्य और अनुचित है, क्योंकि पंजाब के किसानों के बिना समिति की कोई प्रासंगिकता नहीं है।

सीएम भगवंत मान की टिप्पणी को ठहराया सही

उन्होंने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान ने ठीक ही कहा है कि राज्य के प्रतिनिधित्व के बिना समिति ‘आत्मा के बिना शरीर’ की तरह होगी। अरोड़ा और अन्य सांसदों की राय थी कि केंद्र को पंजाब के निर्वाचित प्रतिनिधियों और किसानों को समिति में शामिल करना चाहिए ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके।

उन्होंने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि केंद्र द्वारा गठित समिति “किसान विरोधी” है और राज्यों, विशेष रूप से पंजाब के गैर-प्रतिनिधित्व के माध्यम से फेड्रलिज्म के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा कि केंद्र को यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब को भारत का भोजन का अन्न भंडार कहा जाता है और समिति में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं देने से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि सरकार एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के प्रति गंभीर नहीं है।