लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल दर साल बढ़ती पर्यटकों की आमद को देखते हुए योगी सरकार पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहूलियत दे रही है। आवास विभाग ने नियमों में परिवर्तन करते हुए छोटे होटल खोलना आसान बना दिया है। इससे पहले प्रदेश सरकार ने पुरानी हवेलियों, भवनों व घरों को होटल एवं होम स्टे में परिवर्तित करने के लिए रियायत दी थीं।
प्रदेश सरकार के आवास विभाग ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2008 में संशोधन करते हुए छोटे होटल बनाने के लिए जरूरी क्षेत्रफल की बाध्यता को खत्म कर दिया है। वहीं बड़े होटलों के निर्माण के लिए भी जरूर जमीन की सीमा को घटाकर आधा कर दिया है। पहले जहां 20 कमरों से अधिक तादाद वाले होटल बनाने के लिए न्यूनतम 10000 वर्गफुट के भूखंड की बाध्यता थी वहीं अब इसे घटाकर 5000 वर्गफुट कर दिया गया है। इस कदम से आवासीय क्षेत्र में छोटे होटल खोलना आसान हो जाएगा।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, आवास, नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जारी आदेश के मुताबिक के मुताबिक अब 6 से लेकर 20 कमरों तक का होटल खोलने के लिए जमीन के न्यूनतम क्षेत्रफल की बाध्यता नहीं रहेगी। हालांकि 10000 वर्गफुट के निर्माण पर होटल स्वामी के लिए कार पार्किंग की जगह छोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। भवन निर्माण एवं विकास उपविधि में संशोधनों के साथ जारी शासनादेश में होटल निर्माण के लिए आगे व पीछे जगह छोड़ने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। आदेश में विकसित कालोनियों में आवासीय भूखंडों पर होटल खोलने की मनाही की गई है।
नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि संशोधनों को सभी विकास प्राधिकरण अपने-अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन के बाद लागू करेंगे। संशोधनों के बाद अब आवासीय क्षेत्र में 9 मीटर चौड़ी सड़क पर 20 कमरों तक के होटल बनाए जा सकेंगे जबकि बड़े होटलों के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़क का होना अनिवार्य होगा। सभी गैर आवासीय क्षेत्रों में केवल 12 मीटर चौड़ी सड़क पर ही होटल बनाए जा सकेंगे। आदेशों के मुताबिक 15 मीटर ऊंचाई के होटलों में आगे पांच मीटर पर पीछे तीन मीटर का क्षेत्र खुला छोड़ना होगा जबकि दोनो तरफ यहा सीमा तीन मीटर की होगी। बड़े होटल जो 4000 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल पर बनाए जाएंगे वहां 20 फीसदी हिस्सा कामर्शियल व कार्यालय के उपयोग में जबकि 20 फीसदी पर सर्विस अपार्टमेंट बनाए जा सकेंगे। इन बड़े होटलों में पांच फीसदी स्थान पर प्रवेश कक्ष बन सकेंगे जिसकी गणना फ्लोर एरिया रेशियों (एफएआर) में नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर और वाराणसी में काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद उत्तर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुयी है। मिर्जापुर में विंध्य कॉरिडोर, मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर के साथ और भी कई परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बड़ी तादाद में पर्यटक प्रदेश की ओर रुख करेंगे। इन सबके लिए बड़े पैमाने पर ठहरने की व्यवस्था की आवश्यकता होगी। पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमों में संशोधन के बाद प्रदेश में होटलों के निर्माण में तेजी आएगी और बड़ी तादाद में सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
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