आज समाज डिजिटल, Lucknow News: राजनीति अनिश्तिताओं का खेल है। अपने फायदे के लिए कौन सा राजनीतिज्ञ किस पाले में बैठ जाए ये कहा नहीं जा सकता। आज कांग्रेस नेता रहे वकील कपिल सिब्बल ने इसी नजारे को फिर से ताजा कर दिया। उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी के समर्थन में राज्यसभा का रुख किया। माना जा रहा है कि सपा के आजम खान के वकील रहे सिब्बल को उनके और अखिलेश के संबंधों को सुधारने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
आजम खान 27 माह तक जेल में रहे। इस दौरान समर्थकों ने अखिलेश पर पक्षपात के आरोप मढ़े। इसके अलावा आजम की रिहाई के प्रयास भी नगण्य बताए गए। इसी संदर्भ में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने जेल में आजम से मुलाकात की और जेल से छूटने के बाद उनसे निकटता भी रही। यूपी के मुस्लिम वोटर्स पर आजम की अच्छी पैठ है। इसलिए आजम से अपनी बढ़ती दूरी से अखिलेश भी परेशान होते रहे। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश मौके की तलाश में थे कि आजम को पटाने का कोई जुगाड़ सेट किया जाए। इसके लिए मुलायम सिंह यादव सक्रिय हुए और कपिल सिब्बल भी पहुंच गए।
जेल में आजम खान परेशान थे। उन्हें एक अच्छे वकील की जरूरत थी। इस तलाश में ही वे कपिल सिब्बल के संपर्क में आए। सिब्बल ने आजम खान की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में बहुत प्रयास किए। इसके बाद आजम को अंतरिम जमानत मिल गई। आजम की अखिलेश से मुलाकात तक नहीं हुई। राजनीति के जानकार इस तरह के हालात अखिलेश यादव के लिए ठीक नहीं मान रहे। इसी बीच सपा को कपिल सिब्बल का फार्मूला मिल गया। अब उम्मीद है कि सिब्बल आजम को अखिलेश के निकट लाएंगे।
कपिल सिब्बल को 2016 में कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। जावेद अली खान को राज्यसभा भेजने पर भी पार्टी में सहमति है। जावेद 2014 से 2020 तक राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव और राम गोपाल यादव का करीबी माना जाता है।
कपिल सिब्बल ने कहा है कि अब कांग्रेस का नेता नहीं हूं। 16 मई को ही त्यागपत्र दे दिया है। पहले भी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा गया था और राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की आवाज उठाता रहा हूं। हमारा लक्ष्य एक मजबूत विपक्ष बनाकर मोदी सरकार की खराब नीतियों को लोगों तक पहुंचाना है। इस मामले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा है कि समाजवादी पार्टी की तरफ से दो और उम्मीदवार हो सकते हैं। आज कपिल सिब्बल ने पर्चा भरा है.
कपिल सिब्बल पहली बार 1998 में राज्यसभा के जरिये राजनीति में आए थे। दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे। राजनीति में उनकी शुरूआत 1996 में कांग्रेस का टिकट आॅफर किया। कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी की सुषमा स्वराज के सामने उन्हें चुनाव में हार गये। 2004 में एक बार फिर दिल्ली की चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कपिल सिब्बल ने भाजपा की स्मृति ईरानी को हराकर लोकसभा सांसद बने। इसके बाद कपिल सिब्बल ने साल 2009 में भी यहां से जीत हासिल की.
लोकसभा सांसद बनने के बाद कपिल सिब्बल ने मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। मनमोहन सिंह की सरकार में कपिल सिब्बल मानव संसाधन विकास मंत्री, सूचना प्रोद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री रहे। मनमोहन सरकार के दौरान इनके अलावा भी कपिल सिब्बल ने कई जिम्मेदारियां निभाई। साल 2014 में कपिल सिब्बल कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं में से एक थे, जिन्हें मोदी लहर के कारण हार का सामना करना पड़ा। 2016 में, सिब्बल को तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की ओर से समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यूपी से राज्यसभा के लिए चुना गया।
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