Lucknow News : डिजिटल हाजिरी का फैसला टला, अब कमेटी करेगी निर्णय

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Decision on digital attendance postponed, now committee will decide
सीएम योगी।

(Lucknow News) लखनऊ। यूपी बेसिक शिक्षकों के विरोध के बाद सरकार ने फिलहाल डिजिटल हाजिरी का निर्णय स्थगित कर दिया है। इस मामले के हल के लिए एक कमिटी गठित की जाएगी। यह कमिटी सभी पक्षों से बात करेगी। शिक्षकों की समस्याएं सुनेगी। उसके बाद इस मसले पर कोई निर्णय लिया जाएगा। शिक्षक संगठनों से बातचीत के बाद मुख्य सचिव ने इस बाबत अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

निकिता सरीन।

सीएम ने किया था हस्तक्षेप

शिक्षा विभाग ने आठ जुलाई से शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी का आदेश जारी किया था। उसके बाद से ही शिक्षक इस फैसले का विरोध कर रहे थे। वे स्कूल जा रहे थे और काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज करा रहे थे। स्कूल के बाद धरना-प्रदर्शन भी कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। उधर कई विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ आ गए थे। उन्होंने भी सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दो बार इस मामले में हस्तक्षेप किया और बातचीत से हल निकालने के आदेश अधिकारियों को दिए थे।

यह हुआ निर्णय

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद मंगलवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक बैठक बुलाई। इस बैठक में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा एमकेएस सुंदरम, डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष निदेश चंद्र शर्मा, महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य, कार्यकारिणी सदस्य प्रीति सिंह सहित शिक्षक संगठनों के कई प्रतिनिधि शामिल थे। सभी से बातचीत के बाद मुख्य सचिव ने कहा कि शिक्षा में ट्रांसफार्मेशल चेंज जरूरी हैं। इसमें गुणवत्तापरक शिक्षा देने वाले शिक्षकों की अहम भूमिका होगी। तभी 2047 तक विकसित भारत के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने एक कमिटी गठित करने के निर्देश दिए। यह कमिटी समस्याएं सुनेगी। तब तक डिजिटल अटेंडेंस स्थगित रहेगी। कमिटी की सिफारिशों के आधार पर डिजिटल अटेंडेंस और आगे के सुधारों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।

क्यों विरोध कर रहे थे शिक्षक?

शिक्षकों का कहना था कि बेसिक स्कूल दूर-दराज के इलाकों में होते हैं। शिक्षक 40-50 किलोमीटर दूर अपने साधनों से पहुंचते हैं। ऐसे में रास्ता जाम या किसी और वजह से देर हो सकती है। वहीं कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां इस समय बारिश में पानी भर गया है। नेटवर्क की भी दिक्कत है। ऐसे में तय समय में हाजिरी लगा पाना आसान नहीं है। छुट्टी से पहले भी हाजिरी दर्ज करनी होती है। शिक्षकों को आकस्मिक स्थिति में कहीं जाना पड़ा तो भी दिक्कत होगी। बच्चों की हाजिरी और मिड डे मील का ब्योरा भी दर्ज करना है। इससे पढ़ाई का काफी समय इन कामों में ही खप जाएगा। बेसिक शिक्षकों को साल भर में 14 सीएल मिलती हैं। ईएल की सुविधा नहीं है। पूरी नौकरी में एक साल की मेडिकल लीव की व्यवस्था है। यदि शिक्षक लेट पहुंचते हैं तो हाफ लीव या तीन दिन लेट होने पर एक सीएल काटी जा सकती है। विभाग ने जो व्यवस्था लागू की है, उसके अनुसार लेट पहुंचने पर सीधे वेतन काट लिया जाएगा। विभाग ने इन दिक्कतों को समझे बिना नई व्यवस्था लागू कर दी। इसी का वे विरोध कर रहे हैं।