Lord Shiva Baba Is Pleased With The Kanwar Yatra कांवड़ यात्रा से जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान शिव बाबा

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Lord Shiva is Pleased-with kawad Yatra
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आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Lord Shiva is Pleased-with kawad Yatra: शिवभक्तों को कांवड़ यात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है। साल में दो बार सावन मास व फाल्गुन मास में शिव भक्त कावड़ यात्रा पर जाते हैं। कावड़ियों के लिए ये यात्रा बहुत महत्वपूर्ण होती है। कावड़ यात्रा से भगवान शिव व माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। कांवड़ियां कंधे पर गंगाजल लेकर आते हैं और प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालु कांवड़ को जमीन पर नहीं रखते हैं। कांवड़ चढ़ाने वाले लोगों को कांवड़ियां कहा जाता है। अधिकतर कांवड़ियों ने कपड़े केसरी रंग के पहने होते हैं। शिव भक्त गौमुख, इलाहबाद, हरिद्वार और गंगोत्री जैसे तीर्थस्थलों से गंगाजल भरते हैं। इसके बाद पैदल यात्रा कर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

भगवान परशुराम ने की थी कावड़ की शुरूआत Lord Shiva Baba Is Pleased With The Kanwar Yatra

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ लाकर शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया था। मान्यता है कि उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाया था। कांवड़ में गंगाजल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है। जो लोग कांवड़ चढ़ाते उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने की थी कांवड़ यात्रा  Lord Shiva Baba Is Pleased With The Kanwar Yatra

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मान्यता है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार न कांवड़ यात्रा की थी। उनके अंधे माता- पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जताई थी। श्रवण कुमार ने माता पिता की इच्छा को पूरा करते हुए कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार में स्नान कराया। वापस लौटते समय श्रवण कुमार गंगाजल लेकर आए और उन्होंने शिवलिंग पर चढ़ाया।

कांवड़ यात्रा के नियम Lord Shiva Baba Is Pleased With The Kanwar Yatra

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1. मान्यता है कि कांवड़ यात्रा के नियम सख्त हैं । इसके अलावा उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
2. कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा करना वर्जित माना गया है।

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3. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, अगर कही रुकना हैं तो स्टैंड या पेड़ के ऊंचे स्थल पर रखें। कहते हैं अगर किसी व्यक्ति ने कांवड़ को नीचे रखा तो उसे दोबारा गंगाजल भरकर यात्रा शुरू करनी पड़ती है।
4. कांवड़ यात्रा के दौरान पैदल चलने का विधान है, अगर आप कोई मन्नत पूरी होने पर यात्रा कर रहे हैं तो उसी मन्नत के हिसाब से यात्रा करें।

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