लंदन। सुनील वाल्सन एक ऐसा नाम है जिन्हें हर विश्व कप से पहले विशेष रूप से याद किया जाता है। इस बार भी जब विश्व कप से पहले खेल पत्रकारों ने उनसे संपर्क किया था, तो वो इस बार भी हंसते हुए बोले, मुझे मालूम है आपके प्रश्न क्या रहने वाले हैं। मैं पहले ही बता देता हूं। मैं 1983 में विश्व कप विजेता टीम का सदस्य था। 14 सदस्यों ने विश्व कप जीता था और उनमें से एक मैं था और मुझे उस विश्व कप में एक भी मैच न खेल पाने का कोई पछतावा नहीं है। दरअसल, भारत ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप जीता था। उस टीम में सुनील वाल्सन ऐसे खिलाड़ी थे, जो एक भी मैच नहीं खेले। वे टीम के साथ सफर करते और पूरे दिन पवैलियन में मैच देखते, लेकिन एक मैच में भी उन्हें प्लेइंग एकादश में नहीं खेलाया गया। अब ये बात पिछले छत्तीस साल से हर बार विश्व कप के दौरान फिर फिर दोहराई जाती है और सुनील वाल्सन खुद भी इस पर मजाक करने लगते हैं।
60 साल के हो चुके सुनील वाल्सन पत्रकारों को हर बार हंसते हुए वही रटे रटाये बयान देते हैं। इस विश्व कप में रविंद्र जडेजा भी सुनील वाल्सन बनने के कगार पर हैं। उनके साथ भी कुछ वैसा ही हो रहा है। रविंद्र जडेजा ने विश्व कप शुरू होने से पहले ओवल में अभ्यास मैच में शानदार बल्लेबाजी की थी। लेकिन विश्व कप के एक भी मैच में अब तक उन्हें नहीं खेलाया गया है। वे बारहवें खिलाड़ी ही बने रहते हैं और टीम के साथ बैगेज के रूप में चलते हैं। बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया को जडेजा की कमी जबरदस्त रूप से खली। भारत के पास बांग्लादेश की शानदार बल्लेबाजी के सामने गेंदबाज कम पड़ रहे थे, जबकि बैंच पर उनके पास ऐसा हरफनमौला खिलाड़ी बैठा था, जो अच्छी बल्लेबाजी कर लेता है, अच्छी गेंदें डाल लेता है और फील्डिंग तो जबरदस्त करता है। टीम इंडिया 8 मैच खेल चुकी है और शनिवार को उन्हें अपना नौवां और अंतिम लीग मैच खेलना है। सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं तो एक मैच होगा ही और यदि फाइनल में पहुंच गए तो कुल तीन मैच और खेलने होंगे। आगे भी इन मैचों में यदि जडेजा बाहर ही बैठे रहे तो सुनील वाल्सन के साथ साथ हर विश्व कप से पहले जडेजा से भी लोग ऐसे ही पूछेंगे और हर बार वे हंसते हुए मजाकिया अंदाज में एक ही बयान देंगे। टीम मध्यक्रम में तेज गति से रन बनाने वाला खिलाड़ी खोज रही है और ऐसा खिलाड़ी उनके दल में होते हुए बाहर बैठा इंतजार कर रहा है।