अंबाला। यादों के झरोखों सीरिज में हम पिछले कुछ दिनों से 1967 के लोकसभा चुनाव की चर्चा कर रहे हैं। यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था। राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, क्योंकि कई बड़े नेताओं ने अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनौती पेश की थी। चुनाव आयोग के लिए भी यह महत्वपूर्ण चुनाव था। पर इन सबसे अलग भारतीय डाक विभाग ने इस चुनाव में अलग तरह का योगदान दिया। चुनाव में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया। पहली बार डाक टिकटों पर भी चुनावी रंग देखने को मिला।
-दरअसल डाक टिकटों पर भी समय-समय पर चुनावी रंग चढ़ता रहा है। पर सबसे पहले आजादी की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर 1967 में स्टांप जारी किया गया था, जिसमें चुनाव की छाप मिलती है। उस समय चौथा आम चुनाव हुआ था, जिसमें सबसे अधिक 54प्रतिशत मतदान हुआ था।
-भारतीय डाक विभाग ने इस विशेष मौके पर डाक टिकट जारी किया था। इस डाक टिकट में महिला को वोट डालते हुए दिखाया गया था। साथ ही पंक्ति में लगे वोटर का चित्रण भी उस स्टांप पर किया गया था।
-यह चुनाव इसलिए भी यादगार रहा क्योंकि 1967 में आखिरी बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ हुआ था। उसके बाद से हर बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग कराया गया।
-हालांकि यह भी एक रोचक तथ्य है कि अब तक आम चुनाव को लेकर तीन से पांच स्टांप ही जारी हुआ है। मगर तीन स्टांप पूरे देश की चुनाव प्रणाली के बदलाव को दशार्ता है।
-1967 के बाद 1993 में डाक टिकट जारी हुआ था। यह टिकट दादा भाई नौरोजी पर जारी किया गया था। दरअसल दादा भाई नौरोजी पहले भारतीय थे जिन्हें 1892 में हाउस आॅफ कॉमन्स के लिए चुना गया था।
-इसके साथ ही दादा भाई नौरोजी पहले भारतीय भी हुए जिन्होंने 1893 में मतदान किया था। इसी के सौ वर्ष पूरे होने पर 1993 में उनकी याद में डाक टिकट जारी किया गया।
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बदली थी चुनाव की प्रणाली
2010 में डाक विभाग ने भारतीय निर्वाचन आयोग की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर डाक टिकट जारी किया था। दरअसल 1950 में भारतीय निर्वाचन आयोग का गठन हुआ था। उसके 60 वर्ष 2010 में पूरे हुए थे। इसमें इलेक्शन में आये बदलाव को दिखाया गया। उस समय ईवीएम से मतदान का प्रयोग शुरू हो गया था। डाक टिकट के द्वारा दिखाया गया कि ईवीएम के जरिए महिला वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रही है।